Edited By Kuldeep, Updated: 14 Jan, 2025 04:16 PM
: मकर सक्रांति पर शिमला और मंडी जिला की सीमा पर स्थित धार्मिक स्थल तत्तापानी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और यहां हजारों की तादात में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
शिमला (संतोष): मकर सक्रांति पर शिमला और मंडी जिला की सीमा पर स्थित धार्मिक स्थल तत्तापानी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और यहां हजारों की तादात में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मकर सक्रांति पर तत्तापानी में स्नान और तुलादान का विशेष महत्व रहता है और लोगों ने पवित्र स्नान करने के साथ यहां तुलादान भी किया। मकर सक्रांति को लेकर तत्तापानी में तीन दिनों का जिला स्तरीय मेला आयोजित होता है, जो 13 जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक चलता है। वहीं, लोग मेला समाप्त होने के बाद भी 26 जनवरी तक यहां स्नान करने के लिए आते है। पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो लोहड़ी के एक दिन बाद 14 जनवरी को मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से ही ऋतु में भी परिवर्तन होने लगता है। जानकारी के अनुसार मकर सक्रांति पर्व पर तुलादान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन नवग्रहों की शांति के लिए तत्तापानी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु तुलादान करवाते है। मकर सक्रांति पर खिचड़ी, चावल, दाल, उड़द की दाल और ऊनी कपड़ों का दान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धार्मिक स्थलों पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
तत्तापानी को ऋषि जमदग्नि और परशुराम की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसे में लोगों की तत्तापानी में मकर संक्रांति के पावन पर्व को लेकर गहरी आस्था है। यहां पर दूर-दूर से धार्मिक श्रद्धालु गर्म पानी में नहाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि परशुराम ने यहां स्नान करने के बाद अपनी घोती निचोड़ी थी, जहां-जहां धोती निचोडऩे से पानी के छींटे पड़े, वहां गर्म पानी के चश्मे फूट पड़े थे। तत्तापानी में सदियों से लोग बैसाखी व लोहड़ी स्नान कर पुण्य के भागीदार तो बनते ही आ रहे है, लेकिन यहां स्नान करने से चर्म रोग से भी निजात पाते हैं। ऐसे में लोगों की इन चश्मों के प्रति गहरी आस्था है।
खिचड़ी बनाने का यहां बना था विश्व रिकार्ड
बता दें कि तत्तापानी में मकर सक्रांति के पर्व पर हिमाचल प्रदेश व अन्य राज्यों से पर्यटक पवित्र स्नान के लिए आते है। इस दिन तत्तापानी में खिचड़ी दान करने की सदियों से परंपरा चली आ रही है और ऐसे में इस धार्मिक तीर्थ स्थल में जगह-जगह प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाई जाती है। तत्तापानी के नाम खिचड़ी पकाने का विश्व रिकार्ड भी है। यहां पर वर्ष 2020 में मकर सक्रांति मेले के आयोजन पर एक ही बर्तन में 1995 किलोग्राम खिचड़ी एक साथ बनाई गई थी। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग ने एक ही बर्तन में इतनी मात्रा में खिचड़ी बनाई थी। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में यह रिकार्ड दर्ज हुआ था।