12 साल से इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा ये परिवार, पढ़ें क्या है मामला (Watch Video)

Edited By Vijay, Updated: 25 Jun, 2019 08:32 PM

आज हम आपको एक ऐसे परिवार से मिलाने जा रहे हैं जो इंसाफ के लिए पिछले 12 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन आज तक उसे इंसाफ नहीं मिल पाया है। बात हो रही है मंडी जिला के सरकाघाट के नौबाही निवासी पीड़िता अति शर्मा और उनके पति राजेंद्र शर्मा की।

सुंदरनगर (नितेश सैनी): आज हम आपको एक ऐसे परिवार से मिलाने जा रहे हैं जो इंसाफ के लिए पिछले 12 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा है लेकिन आज तक उसे इंसाफ नहीं मिल पाया है। बात हो रही है मंडी जिला के सरकाघाट के नौबाही निवासी पीड़िता अति शर्मा और उनके पति राजेंद्र शर्मा की। राजेंद्र शर्मा की पत्नी ने 2003, 2005 और 2007 में निदेशक तकनीकी शिक्षा सुंदरनगर में इंस्ट्रक्टर इंब्राइडरी पद के लिए इंटरव्यू दिया था लेकिन उनके साथ धोखधड़ी कर नौकरी किसी और को दे दी गई, जिसके लिए आज तक राजेंद्रशर्मा व उनकी पत्नी अति शर्मा दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, जिस की वजह से अति शर्मा दिमागी तौर से परेशान हो चुकी है।

आर.टी.आई. से प्राप्त दस्तावेजों ने उड़ाए होश

अति शर्मा के पति राजेंद्र शर्मा बताया कि उनकी पत्नी ने वर्ष 2003 में 2 ,2005 में 4 और 2007 में 2 पदों के लिए निदेशक तकनीकी शिक्षा सुंदरनगर में इंस्ट्रक्टर इंब्राइडरी पद के लिए इंटरव्यू दिया था। चयन प्रक्रिया के संपूर्ण दस्तावेज पूरे होने के बावजूद 3 बार इंटरव्यू देने के बाद भी उनकी पत्नी का चयन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया के दौरान आवेदक को संबंधित पोस्ट के लिए एक्सपीरियन्स प्रतिवर्ष के हिसाब से एक अंक मिलना था और उनकी पत्नी के पास 4 वर्ष का एक्सपीरियन्स था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में इंटरव्यू देने के बाद उनके द्वारा विभिन्न विभागों से आर.टी.आई. में दस्तावेज प्राप्त किए गए, जिन्हें देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने कहा कि उपरोक्त दस्तावेजों में इंटरव्यू के दौरान चयनित आवेदकों द्वारा पेश किए गए एक्सपीरियन्स सर्टिफिकेट में धांधली होना पाया गया।

6 आवेदकों के खिलाफ की शिकायत, एक पर दर्ज किया मामला

उन्होंने कहा कि मामले को लेकर वर्ष 2012 में हाईकोर्ट में केस फाइल किया गया और फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने मामले को लेकर निचली अदालत में केस दायर करने को कहा। उन्होंने कहा कि मामले को लेकर वर्ष 2016 में 6 आवेदकों के खिलाफ एक शिकायत विजीलैंस विभाग को प्रेषित की गई। इस पर विजीलैंस विभाग मंंडी ने मात्र एक आवेदक के खिलाफ 26 मार्च, 2018 को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 467, 468,471,120-बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 13(2) में प्राथमिकी दर्ज कर ली। उन्होंने कहा कि इस प्राथमिकी मेें चयनित आवेदक को गलत एक्सपीरियन्स सर्टिफिकेट जारी करने को लेकर सचिव ग्राम पंचायत सासन व खंड विकास अधिकारी, विकास खंड हमीरपुुुर को भी आरोपी बनाया गया लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक विजीलैंस विभाग द्वारा जांच पूरी नहीं हो पाई है।

विजीलैंस विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान

उन्होंने कहा कि पीड़िता व उनका परिवार विजीलैंस विभाग की जांच से संतुष्ट नहीं हंै। उन्होंने कहा कि 6 आवेदकों के खिलाफ साक्ष्य पेश करने के बाद भी मात्र एक के ही विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने से विजीलैंस विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू में धोखाधड़ी होने के बाद वर्ष 2007 से लेकर अब तक उनका परिवार न्याय को लेकर जंग लड़ रहा है लेकिन आज दिन तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि अब उनकी पत्नी की आयु 45 वर्ष पार होने के कारण नौकरी के लिए ओवरएज हो गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से 12 वर्षों से न्याय के लिए दर-दर भटकने को लेकर विभिन्न विभागों की सुस्त कार्यप्रणाली जगजाहिर हो गई है।

जल्द कोर्ट मेंं पेश होगा चालान

विजीलैंस विभाग मंंडी के डी.एस.पी.  कुलभूषण वर्मा ने बताया कि मामले में विभाग की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द ही चालान तैयार कर न्यायालय में पेश कर दिया जाएगा। अन्य लोगों के खिलाफ दी गई शिकायत को लेकर भी जांच जारी है।

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