देवभूमि हिमाचल का वह स्थान जहां प्रकृति, आस्था और रोमांच मिलते हैं एक साथ, खिंचे चले आ रहे सैलानी

Edited By Vijay, Updated: 24 Jun, 2025 07:05 PM

that corner of devbhoomi where nature faith and adventure meet together

घने देवदारों के बीच हरी-भरी ढलानें, चट्टानों से अठखेलियां करती पहाड़ी नदियां, मटर-आलू के लहलहाते खेत और दूर क्षितिज पर ढलता सूरज – यह मनोरम दृश्य है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित देवीदढ़ का।

मंडी (रजनीश): घने देवदारों के बीच हरी-भरी ढलानें, चट्टानों से अठखेलियां करती पहाड़ी नदियां, मटर-आलू के लहलहाते खेत और दूर क्षितिज पर ढलता सूरज – यह मनोरम दृश्य है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित देवीदढ़ का। स्वच्छ आबोहवा और मनमोहक प्राकृतिक छटाओं के कारण जिऊणी घाटी के अंतिम छोर पर बसा यह रमणीक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल
समुद्र तल से लगभग 7800 फुट की ऊंचाई पर स्थित देवीदढ़ मंडी जिले का एक तेजी से उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। यह क्षेत्र पूरी तरह से देवदार के घने जंगल से ढका हुआ है, जो इसे मैदानों की चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाता है। इसकी लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता इसे प्रकृति प्रेमियों और शांति चाहने वालों के लिए एक आदर्श अवकाश स्थल बनाती है।
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पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं पर्यटक
देवीदढ़, शिकारी माता और देव कमरूनाग के लिए एक प्रमुख ट्रैकिंग प्वाइंट भी है। शिकारी माता का मंदिर यहां से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है। कमरूनाग तक पहुंचने के लिए यहां से पैदल ट्रैक के साथ-साथ संपर्क सड़कें भी उपलब्ध हैं। हर साल हजारों प्रकृति प्रेमी और श्रद्धालु यहां वीकैंड बिताने आते हैं। हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। चंडीगढ़ से आए एक दंपति मीना और विद्या सागर ने बताया कि वे अक्सर यहां घूमने आते हैं क्योंकि यहां का शांत वातावरण और स्वच्छ हवा उन्हें बहुत पसंद है। मंडी से आए गगनेश ने गर्मी से राहत पाने के लिए देवीदढ़ का चुनाव किया और यहां की ताजी हवा, मनमोहक नजारों तथा देवी दर्शन का आनंद लिया।
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देव कमरूनाग की बहन का है यह मैदान
देवीदढ़ का नाम यहां स्थित माता मुंडासन से जुड़ा हुआ है। स्थानीय ग्रामीण नारायण सिंह बताते हैं कि 'दढ़' का शाब्दिक अर्थ 'मैदान' होता है, और 'देवी' शब्द जुड़ने से इसका अर्थ 'देवी का मैदान' हो गया है। यहां माता मुंडासन का एक छोटा-सा मंदिर स्थित है। नारायण सिंह के अनुसार देवी मुंडासन को मंडी जनपद के आराध्य देव कमरूनाग की बहन माना जाता है। मेले के दौरान देव कमरूनाग के पुजारी 5 दिन यहां निवास करते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार चंड-मुंड संहार में मुंड को हराने के बाद देवी दुर्गा का नाम मुंडासन पड़ा और मंदिर में शेर पर सवार उनकी मूर्ति स्थापित है।
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बच्चों के मनोरंजन और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल
देवीदढ़ के निचले छोर पर बच्चों के लिए ट्रैकिंग ट्रेल, वाटर वोटिंग और झूले जैसी सुविधाएं स्थापित की गई हैं। यहां एक सैल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। घास के मैदान से थोड़ा बाहर निकलकर यहां बहने वाले पहाड़ी नाले के किनारे टहलना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। नाले पर बना पुराना पुल भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। थोड़ी ऊंचाई पर शिकारी माता मार्ग से और भी मनमोहक नजारे देखे जा सकते हैं, जो फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करते हैं।
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कैसे पहुंचे देवीदढ़
देवीदढ़ का निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू जिले के भुंतर में लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ट्रेन द्वारा पहुंचने के लिए निकटतम रेल संपर्क जोगिंदर नगर में नैरो गेज लाइन है जो लगभग 111 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए मंडी-डडौर-चैलचौक-देवीदढ़ सड़क पर 55 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। चंडीगढ़ से आने वाले पर्यटक रेल या हवाई मार्ग से चंडीगढ़ पहुंचकर, चंडीगढ़-मनाली फोरलेन मार्ग पर मंडी-सुंदरनगर के बीच डडौर गांव से देवीदढ़ की यात्रा कर सकते हैं।

ग्रामीण जीवन का अनुभव और ठहरने की सुविधा
देवीदढ़ में ठहरने के लिए होमस्टे की अच्छी सुविधा सुलभ दामों पर उपलब्ध है। प्रदेश सरकार होमस्टे सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है, जिससे सैलानियों को बेहतर सुविधाएं मिलने के साथ-साथ होमस्टे संचालकों को भी लाभ हो रहा है। पर्यटक देवीदढ़ में वन विश्राम गृह में भी ठहर सकते हैं। होमस्टे और वन विश्राम गृह में ठहरने से पर्यटकों को आस-पास के ग्रामीण जीवन को नजदीक से जानने-समझने का भी मौका मिलता है। इससे स्थानीय लोगों को भी अच्छी आमदनी होती है। चाय-स्नैक्स का ठेला लगाने वाले डूम राम बताते हैं कि वे सीजन के दौरान एक दिन में दो से तीन हजार रुपए कमा लेते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन के योगदान को दर्शाता है। 
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