Edited By Kuldeep, Updated: 29 Nov, 2024 08:42 PM
हिमाचल प्रदेश में बन रही दवाओं की गुणवत्ता कटघरे में खड़ी हो गई है। प्रदेश में हर माह दवाओं के फेल हो रहे सैंपलों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इससे राज्य ड्रग विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सोलन (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश में बन रही दवाओं की गुणवत्ता कटघरे में खड़ी हो गई है। प्रदेश में हर माह दवाओं के फेल हो रहे सैंपलों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इससे राज्य ड्रग विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रदेश में बनी दवाओं के पिछले पांच माह में 112 सैंपल फेल हो चुके हैं जबकि देश में जुलाई से नवम्बर माह के बीच कुल दवाओं के 317 सैंपल फेल हुए। इसमें अकेले हिमाचल का आंकड़ा 112 है। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने इसका कड़ा संज्ञान लिया है। उन्होंने पिछले दिनों ड्रग विभाग से उन उद्योगों की सूची मांगी थी जिनकी दवाओं के बार-बार सैंपल फेल हो रहे हैं। यह आंकड़ा भी काफी चौंकाने वाला है। प्रदेश में 20 उद्योगों की दवाओं के सैंपल बार - बार फेल हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल की मानें तो ऐसे उद्योगों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। अब इंतजार है कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे उद्योगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करता है।
केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन द्वारा जारी किए गए अलर्ट के अनुसार प्रदेश में जुलाई महीने में 12 दवाओं के सैंपल फेल हुए थे जबकि देश का आंकड़ा 31 का था। इसी तरह अगस्त में महीने में देशभर में कुल 70 दवाओं के सैंपल फेल हुए जिसमें प्रदेश की दवाओं की संख्या 20 थी। सितम्बर महीने में देश में कुल 59 दवाओं के सैंपल फेल हुए, उसमें प्रदेश में बनी दवाओं की संख्या 19 थी। अक्तूबर में 67 दवाओं में से 23 दवाओं का उत्पादन हिमाचल में हुआ था जिनके सैंपल फेल हुए। नवम्बर माह में देश में कुल 90 दवाओं के सैंपल फेल हुए उसमें हिमाचल में बनी दवाओं की संख्या 38 है।हैरानी की बात यह है कि कार्रवाई के नाम पर नोटिस ही जारी हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि ड्रग विभाग भी ऐसे उद्योगों पर हाथ डालने से डर रहा है। उनका ऊंचा रसूख भी इसका बड़ा कारण हो सकता है।
दावे तो उद्योगों को ब्लैकलिस्ट करने के किए जा रहे थे। जिन उद्योगों के दो से अधिक दवाओं के सैंपल फेल होंगे उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। पिछले पांच महीने (जुलाई से नवम्बर) में प्रदेश में 5 ऐसे उद्योग हैं जिनके 3 या इससे अधिक सैंपल फेल हुए हैं। इसमें से अभी तक एक भी उद्योग को ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है। यदि पिछले एक वर्ष के आंकड़े खंगालें तो ऐसे उद्योगों की संख्या 40 से 50 के बीच में होगी जिनकी दवाओं के दो से अधिक सैंपल हो गए हैं।
हैरानी की बात यह है कि ड्रग विभाग ने ऐसे उद्योगों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है। इसी का ही परिणाम है कि प्रदेश में दवाओं के फेल हो रहे सैंपलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) द्वारा हर माह जारी किए जा रहे ड्रग अलर्ट में ऐसा कोई महीना नहीं है जिसमें प्रदेश की दवाओं के एक दर्जन से अधिक सैंपल फेल न हों। पिछले 5 माह में जारी किए गए ड्रग अलर्ट में देश भर में दवाओं के कुल 317 सैंपल फेल हुए हैं। इनमें 112 दवाओं का संबन्ध हिमाचल प्रदेश से है।
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि जिन उद्योगों की दवाओं के बार - बार सैंपल फेल हो रहे हैं उनके खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। दवाओं के सैंपल फेल होना गंभीर मामला है। प्रदेश में ऐसे उद्योगों की संख्या करीब 20 है जिनकी दवाओं के पिछले कुछ समय से बार - बार सैंपल फेल हुए हैं। राज्य ड्रग विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।