Edited By Vijay, Updated: 10 Jun, 2025 01:33 PM

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज एक ऐतिहासिक घोषणा की, जिसमें बताया गया कि कभी प्रतिबंधित और दुर्गम सीमा बिंदु रहा शिपकी ला दर्रा अब पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।
हिमाचल डैस्क: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज एक ऐतिहासिक घोषणा की, जिसमें बताया गया कि कभी प्रतिबंधित और दुर्गम सीमा बिंदु रहा शिपकी ला दर्रा अब पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इसे किन्नौर और पूरे हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक नई और महत्वपूर्ण शुरूआत बताया। मुख्यमंत्री ने इस कदम को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर एक नया अध्याय जोड़ेगा। भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित शिपकी ला दर्रा जो अब तक अपनी संवेदनशीलता के कारण आम जनता के लिए बंद था, अब साहसिक और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक नया गंतव्य बन गया है।
Shipki La Pass, once a restricted and remote border point, is now open for tourism — marking a historic beginning for Kinnaur and Himachal.
Where the mighty Sutlej flows through timeless Himalayan valleys, and snow-laden peaks meet the sky — Shipki La offers a breathtaking blend… pic.twitter.com/KRcNg1Ywld
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) June 10, 2025
प्रकृति, रोमांच और संस्कृति का संगम है शिपकी ला
हिमालय की गोद में स्थित शिपकी ला दर्रा एक ऐसी जगह है जहां शक्तिशाली सतलुज नदी हिमालयी घाटियों से होकर बहती है। यहां बर्फ से ढकी चोटियां आकाश को छूती हुई प्रतीत होती हैं, जो एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत करती हैं। यह दर्रा न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह साहसिक गतिविधियों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी एक बेजोड़ मिश्रण प्रदान करता है। पर्यटक यहां आकर ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और स्थानीय संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।
पर्यटकों के लिए कई और छिपे हुए रत्न खाेलने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि शिपकी ला दर्रा खाेलना तो बस शुरूआत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के ऐसे ही कई और छिपे हुए रत्नों को पर्यटकों के लिए खोलने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका लक्ष्य जिम्मेदार और अविस्मरणीय यात्रा अनुभव प्रदान करना है, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिले, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी लाभ हो और पर्यावरण का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
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