Edited By Kuldeep, Updated: 24 Apr, 2023 10:39 PM

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की आद्र्रभूमि (वैटलैंड) के रखरखाव बाबत केंद्र सरकार से ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष उक्त मामले पर सुनवाई हुई।
शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की आद्र्रभूमि (वैटलैंड) के रखरखाव बाबत केंद्र सरकार से ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष उक्त मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने वैटलैंड के रखरखाव से संबंधित फंड का ब्यौरा 8 मई को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने वैटलैंड की देखरेख पर संज्ञान लिया है। रेणुकाजी, खजियार, और पौंग डैम वैटलैंड के रखरखाव को केंद्र सरकार ने 421.28 लाख रुपए जारी किए थे। आर्द्रभूमि एक इस तरह का भूमि क्षेत्र है जिसमें या तो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी होता है और यह एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषताओं को ग्रहण करता है। शीर्ष अदालत ने पाया था कि कई आर्द्रभूमि और झीलें गायब हो गई हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश में 2 लाख से अधिक आर्द्रभूमि की पहचान की है, जिसने 2011 में एक राष्ट्रीय आर्द्रभूमि एटलस तैयार किया था और 2,01,503 आर्द्रभूमि की मैपिंग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि केंद्र सरकार सभी 2,01,503 आर्द्र भूमियों की सुरक्षा के लिए सूची तैयार करे और राज्य सरकारों के परामर्श से अधिसूचित करे। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि संबंधित उच्च न्यायालय इसकी देखरेख करें। हाईकोर्ट के दखल के बाद प्रदेश सरकार ने वैटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 बनाए। सरकार ने 15 जून 2017 को राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया जिसका कार्य आर्द्रभूमियों की पहचान और संरक्षण करना था।