Shimla: एचपीयू, कृषि व नौणी विश्वविद्यालयों के शिक्षक हुए लामबंद, आंदोलन की चेतावनी

Edited By Kuldeep, Updated: 30 Aug, 2024 07:45 PM

shimla university teachers movement warning

हिमाचल प्रदेश में स्थित 3 सरकारी विश्वविद्यालयों के शिक्षक मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के अलावा नौणी विश्वविद्यालय और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के शिक्षकों ने एकजुट होकर संयुक्त संघर्ष समिति (जेसीसी) बनाई...

शिमला (अभिषेक): हिमाचल प्रदेश में स्थित 3 सरकारी विश्वविद्यालयों के शिक्षक मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के अलावा नौणी विश्वविद्यालय और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के शिक्षकों ने एकजुट होकर संयुक्त संघर्ष समिति (जेसीसी) बनाई है। अब यह जेसीसी आगामी दिनों में शिक्षकों से जुड़ी विभिन्न लंबित मांगों को प्रदेश सरकार के समक्ष उठाएगी। शुक्रवार को तीनों विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने वर्जुअल बैठक कर मांगों पर चर्चा करते हुए जेसीसी का गठन किया। इस दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) के अध्यक्ष प्रो. हरीश ठाकुर व महासचिव डा. जोगेंद्र सकलानी ने कहा कि तीनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक महासंघों ने मांगें पूरी न होने पर रोष व्यक्त किया है और कहा कि आगामी दिनों में सरकार के समक्ष मांगों को उठाया जाएगा और इसे पूरा करने के लिए 1 माह का अल्टीमेटम दिया जाएगा। अगर इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हपुटवा लंबे समय से मांगों को लेकर आवाज उठा रहा है और इस दौरान प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष मांगों को उठाया गया लेकिन अभी तक मांगों को पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि करियर एडवांसमैंट स्कीम की अलग अधिसूचना जारी न होने से शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल रही है। इस कारण इन शिक्षकों को वित्तीय नुक्सान भी उठाना पड़ रहा है और उनका करियर भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से प्राध्यापकों को पीएचडी इंक्रीमैंट देना भी बंद है।

कृषि विश्वविद्यालय व नौणी विश्वविद्यालय के शिक्षकों को समय पर नहीं मिल रहा वेतन
वर्चुअल बैठक के दौरान कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर शिक्षक संघ के प्रधान प्रो. जनारदन सिंह ने चिंता व्यक्त की कि कृषि विश्वविद्यालय व नौणी विश्वविद्यालय के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति न होने से भी कार्य प्रभावित हो रहा है। इस दौरान नौणी विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रधान प्रो. बलदेव दिल्टा ने भी विश्वविद्यालय में वेतन संकट पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में हर माह 13 से 14 करोड़ रुपए वेतन के लिए जरूरत है जबकि 9 से 10 करोड़ रुपए सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए जाते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

कालेज शिक्षकों को भी इस संघर्ष में जोड़ा जाएगा : सकलानी
डा. जोगेंद्र सकलानी ने कहा कि शिक्षकों की पदोन्नतियां रुकी हुई हैं और समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है और भत्ते भी नहीं दिए जा रहे हैं, जिस कारण शिक्षकों में रोष है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कालेज शिक्षकों को भी इस संघर्ष में जोड़ा जाएगा।

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