Shimla: ऊना में 20 करोड़ की लागत से स्थापित होगा आलू प्रसंस्करण संयंत्र

Edited By Kuldeep, Updated: 28 Dec, 2024 06:44 PM

shimla una potato processing plant

प्रदेश सरकार जिला ऊना में लगभग 20 करोड़ रुपए की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेगी। सरकार ने कृषि विभाग को इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

शिमला (भूपिन्द्र): प्रदेश सरकार जिला ऊना में लगभग 20 करोड़ रुपए की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेगी। सरकार ने कृषि विभाग को इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इस संयंत्र की न्यूनतम प्रसंस्करण क्षमता 500 किलोग्राम प्रति घंटा होगी और यह मुख्य रूप से फ्लैक्स के उत्पादन पर केंद्रित होगा।

ऊना जिला को संयंत्र स्थापित करने के लिए इस लिए चुना गया है, क्योंकि वहां पर शरद और बसंत दोनों ऋतुओं में 3,400 हैक्टेयर क्षेत्र में लगभग 54,200 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी आलू की काफी मात्रा में पैदावार होती है, जिससे प्रसंस्करण उद्योग के लिए कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। ऐसे में यहां इस संयंत्र की स्थापना व्यावहारिक है।

6 किलो छिलके वाले आलू से एक किलो आलू के फ्लैक्स तैयार होते हैं। हिमाचल प्रदेश की जलवायु परिस्थितियां उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए आदर्श हैं, जिन्हें पूरे भारत में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। देश में प्रसंस्कृतिक आलू उत्पादों जैसे कि फ्लैक्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल प्रदेश में आलू प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास से न केवल स्थानीय किसानों को मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में भी योगदान सुनिश्चित होगा।

राज्य के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का 20 फीसदी योगदान
हिमाचल प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14 प्रतिशत है, जिसमें आलू एक प्रमुख फसल है। राज्य के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का योगदान लगभग 20 फीसदी है। प्रदेश में 16,960 हैक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,38,317 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता हैै।

किसानों को मिलेंगे आलू के अच्छे दाम : सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में आलू प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना से जहां उद्योग और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आलू के बाजार को स्थिर करने में मदद मिलेगी। इससे किसानों को ताजा आलू के बाजार में मूल्य के उतार-चढ़ाव की चिंता से भी निजात मिलेगी और आलू की वर्ष भर मांग सुनिश्चित होगी।

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