Edited By Kuldeep, Updated: 28 Mar, 2025 06:39 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण से जुड़े टैंडर को वापस लेने वाले राज्य सरकार के आदेशों को कानूनी तौर पर गलत पाए हुए रद्द कर दिया।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण से जुड़े टैंडर को वापस लेने वाले राज्य सरकार के आदेशों को कानूनी तौर पर गलत पाए हुए रद्द कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि टैंडर को रद्द करने का कोई कानूनी या वैध आधार न होने के बावजूद याचिकाकर्त्ता के पक्ष में दिए गए टैंडर को वापस लेने में आधिकारिक प्रतिवादियों द्वारा मनमानी शक्तियों का प्रयोग किया। कोर्ट ने 5 सितम्बर 2023 का विवादित पत्र, जिसके द्वारा लोक निर्माण विभाग ने याचिकाकर्त्ता से टैंडर कार्य वापस ले लिया था, को रद्द कर दिया और प्रतिवादियों को याचिकाकर्त्ता के पक्ष में काम देने और उसके बाद उसे पूरा करने की अनुमति देने का निर्देश दिया।
मामले के अनुसार 24 अप्रैल 2023 को ई-प्रोक्योरमैंट के माध्यम से धतेहर-महराना-डूहक सड़क की फॉर्मेशन कटिंग, पासिंग प्लेस, टारिंग कार्य, इंटरलॉकिंग पेवर ब्लॉक, सीमैंट कंक्रीट फुटपाथ, सड़क किनारे नाली और पैरापिट्स से लिंक रोड के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं, जिसमें उपरोक्त सड़क का पांच साल का नियमित रखरखाव भी शामिल है जो नाबार्ड के अंतर्गत आता है। निविदा सूचना के अनुसार कार्य की अनुमानित लागत सड़क के निर्माण के लिए 327.51 लाख रुपए और पांच साल के लिए रखरखाव के लिए 36.16 लाख रुपए तय की गई थी। कोडल औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद, अंततः निविदा 20.06.2023 के कार्य पत्र के माध्यम से याचिकाकर्त्ता को प्रदान की गई।
शीघ्र ही अढ़ाई महीने की अवधि के भीतर, प्रतिवादियों ने "प्रशासनिक कारणों से" दिनांक 05.09.2023 के पत्र के माध्यम से निविदा वापस ले ली और इससे व्यथित होकर याचिकाकर्त्ता ने राहत के लिए तत्काल याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया।