Edited By Kuldeep, Updated: 21 Feb, 2025 10:05 PM
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बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिमला ने 18.27 करोड़ रुपए की 5 अचल संपत्तियों को जब्त किया है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई अमल में लाई है।
शिमला (राक्टा): बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिमला ने 18.27 करोड़ रुपए की 5 अचल संपत्तियों को जब्त किया है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई अमल में लाई है। इन संपत्तियों में जिला सिरमौर के नाहन में मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम पंजीकृत लगभग 125 बीघा भूमि (3 भूखंड) और पंचकूला व हरियाणा में (प्रीति बंसल और ऋचा बंसल ट्रस्टी मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट) के नाम पर पंजीकृत 2 फ्लैट शामिल हैं। यह ट्रस्ट हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफैशनल इंस्टीच्यूशंस कालाअम्ब जिला सिरमौर का संचालन करता है और अटैच की गई संपत्ति में वह भूमि भी शामिल है, जिस पर यह इंस्टीच्यूशंस वर्तमान में स्थित हैं। ई.डी ने यह कार्रवाई हिमाचल के ओबीसी, एससी व एसटी छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला द्वारा छात्रवृत्ति के वितरण में अनियमितता के संबंध में सीबीआई की शिमला शाखा में दर्ज करवाई एफआईआर के आधार पर अमल लाई है।
इस मामले में ईडी पूर्व में भी 10.67 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों को जब्त कर चुकी है। साथ ही तलाशी अभियान के दौरान करीब 80 लाख रुपए की नकदी भी जब्त की गई थी। इस तरह विभिन्न बैंक खातों में पड़े 2.80 करोड़ रुपए भी फ्रीज किए गए थे। कुल मिलाकर अब तक करीब 29 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं। साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के दोषी 2 व्यक्तियों को भी बीते माह 30 जनवरी को गिरफ्तार किया गया है और दोनों वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। इससे पहले मामले में 30 अगस्त 2023 को 4 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। मामले में आगे की जांच जारी है
खुलासा, छात्रों की जाति तक को बदल दिया गया
ईडी की जांच से पता चला है कि छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए संस्थानों ने कई तरह की अनियमितताएं बरती हैं। इसके तहत ऐसे छात्रों के नाम पर भी छात्रवृत्ति ले ली गई, जिन्होंने संस्थान में प्रवेश तक नहीं लिया। इसी तरह जिन छात्रों ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, उनके नाम पर भी छात्रवृत्ति हड़प ली गई। इतना ही नहीं अधिक से अधिक छात्रवृत्ति राशि प्राप्त करने के लिए छात्रों के झूठे विवरण एच.पी. ई-पास पोर्टल पर अपलोड किए गए। साथ ही छात्रों की जाति तक को बदल दिया गया। कई छात्रों को डे स्कॉलर के बजाए छात्रावास में रहने वाले के रूप में दर्शा दिया गया। इसके साथ ही दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के नाम पर फर्जी कोर्स का हवाला देकर फीस स्ट्रक्चर दर्शा दिया गया।
परिवारों के नाम पर खरीद ली संपत्तियां
ईडी की जांच में सामने आया है कि अपराध में शामिल विभिन्न व्यक्तियों द्वारा प्राप्त अपराध की आय का उपयोग उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर चल और अचल संपत्तियां हासिल करने के लिए किया गया था। आने वाले दिनों में जांच दायरे में कुछ अन्य संस्थानों पर शिकंजा कस सकता है।