Edited By Kuldeep, Updated: 28 Dec, 2025 09:36 PM

दिल्ली से लौटने के उपरांत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की घुड़की काम कर गई है और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे रैजीडैंट डाक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है और अब सोमवार से अस्पतालों में ओपीडी सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चलेंगी,...
शिमला (संतोष): दिल्ली से लौटने के उपरांत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की घुड़की काम कर गई है और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे रैजीडैंट डाक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है और अब सोमवार से अस्पतालों में ओपीडी सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चलेंगी, जिससे मरीजों को भी राहत मिलेगी। हालांकि रविवार देर शाम तक आरडीए अपनी मांगों को लेकर अड़ी रही और कुछ डाक्टर हड़ताल को समाप्त करने और कुछ डाक्टर हड़ताल को जारी रखने के पक्षधर रहे, लेकिन आखिरकार देर शाम आरडीए ने अपनी स्ट्राइक को कॉल ऑफ कर दिया है।
जानकारी के अनुसार आईजीएमसी के रैजीडैंट डाक्टरों ने मुख्यमंत्री से प्राप्त आश्वासन के बाद अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल तत्काल प्रभाव से वापस ले ली है। आरडीए ने इसे लेकर बयान भी जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने मामले में विस्तृत जांच शुरू करने तथा डा. राघव नरूला की सेवा समाप्ति को लेकर आगे उचित निर्णय लेने का भरोसा मिला है और एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री के आश्वासन पर विश्वास जताते हुए जनहित को सर्वोपरि मानते हुए हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया है।
हालांकि एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि डा. राघव नरूला की सेवा समाप्ति के आदेश रद्द होने तक आईजीएमसी शिमला पूरी तरह से जांच प्रक्रिया पर नजर बनाए रखेगा। इस संबंध में आगे की रणनीति पर विचार के लिए 3 जनवरी को बैठक आयोजित की जाएगी। फिलहाल आरडीए शिमला ने इस आंदोलन के दौरान राज्य और देशभर के रैजीडैंट डाक्टरों से मिले समर्थन के लिए आभार जताया है, साथ ही एचएमओए, सैमडिकोट सहित प्रदेश के सभी मैडीकल शिक्षक संघों और अन्य सहयोगी संगठनों को इस कठिन समय में साथ देने के लिए धन्यवाद दिया है।
दिल्ली से लौटने के उपरांत मीडिया से रू-ब-रू होते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रैजीडैंट डाक्टरों की हड़ताल को अनुचित बताते हुए उनसे तुरंत ड्यूटी पर लौटने को कहा था। अनाडेल में मीडिया से मुखातिब होकर उन्होंने कहा कि पहले डाक्टर अपनी हड़ताल समाप्त करें और वह सीनियर डाक्टरों से सोमवार को बात करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं डाक्टरों को आश्वासन दिया था कि दिल्ली से लौटने के उपरांत उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की जाएगी, लेकिन बावजूद इसके उनका हड़ताल पर जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
डाक्टरों को मुख्यमंत्री की बात पर विश्वास करना चाहिए था और मरीजों की परेशानी को देखते हुए हड़ताल जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए था। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि रैजीडैंट डाक्टरों को अपना अहंकार छोड़कर वापस ड्यूटी पर आना चाहिए। उन्होंने डाक्टरों से अपील की थी कि वे सोमवार से अपने कार्यस्थलों पर लौटें और मरीजों को राहत पहुंचाएं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीनियर डाक्टरों को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उनसे बातचीत करेंगे, ताकि किसी भी तरह का समाधान निकाला जा सके, लेकिन डाक्टर अनिश्तिकालीन हड़ताल पर डटे रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार 75 लाख प्रदेशवासियों के साथ खड़ी है और सरकार ने किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है। सरकार की प्राथमिकता मरीजों का हित है, लेकिन डाक्टर भी सरकार और समाज के लिए परिवार के समान हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मरीजों के साथ भी है और डाक्टरों के साथ भी, ऐसे में आपसी संवाद के माध्यम से इस विवाद का समाधान होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने न तो किसी का पक्ष लिया है और न ही किसी के साथ अन्याय किया है। मरीजों की बढ़तीं परेशानियों को देखते हुए रैजीडैंट डाक्टरों को अपनी हड़ताल समाप्त कर तुरंत ड्यूटी पर लौटना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि डाक्टरों को अहंकार त्याग कर सेवा भाव के साथ काम पर वापस आना चाहिए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
आज से मरीज पाएंगे राहत
डाक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल समाप्त होने के उपरांत मरीज अब अपनी जांच करवा सकेंगे। पिछले 2-3 दिनों से परेशानी झेल रहे मरीजों को भी इससे राहत मिली है, क्योंकि दूरदराज के इलाकों से आए मरीज खासे परेशान हो गए थे। अस्पतालों में पहुंचे मरीज इस उम्मीद में शहरों में डटे रहे कि सोमवार को तो उन्हें उपचार मिलेगा। ऐसे में उनका रुकना व्यर्थ नहीं गया, लेकिन कई मरीज बिना उपचार करवाए वापस अपने पैतृक गांवों को लौट गए हैं, लेकिन हड़ताल समाप्त होने के बाद अब वे फिर अस्पतालों का रुख करेंगे।