Edited By Kuldeep, Updated: 18 May, 2025 05:13 PM

हिमाचल प्रदेश में निगमों व बोर्डों को दिए शराब के ठेकों में कम सेल हो रही है, जिससे प्रबंधन को घाटे का डर सताने लगा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, गत वर्ष की तुलना में 40 से 50 फीसदी तक कम सेल होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में निगमों व बोर्डों को दिए शराब के ठेकों में कम सेल हो रही है, जिससे प्रबंधन को घाटे का डर सताने लगा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, गत वर्ष की तुलना में 40 से 50 फीसदी तक कम सेल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य में सरकार ने उन ठेकों को सरकारी उपक्रमों को देने का निर्णय लिया है, जिन शराब के ठेकों के लिए ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई। सरकार ने सामान्य उद्योग निगम, स्टेट इंडस्ट्रियल डिवैल्पमैंट काॅर्पोरेशन, सिविल सप्लाई काॅर्पोरेशन, एचपीएमसी, वन विकास निगम, हिमफेड सहित नगर निगम शिमला को शराब का बेचने का कार्य सौंपा है। इन निगमों व बोर्डों ने ठेकों में शराब बेचने के लिए अपने कर्मचारियों को तैनात किया है।
तो कई निगमों व बोर्डों ने लोक निर्माण विभाग से मल्टी टास्क वर्कर को लिया है तथा उनको शराब के ठेकों में शराब बेचने की जिम्मेदारी दी है। हालांकि निगमों व बोर्डों ने सरकार के आदेश पर यह कार्य शुरू किया है, लेकिन उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, जिस ठेके पर माह में 40 से 50 लाख रुपए तक शराब की बिक्री होती थी, वहां पर बिक्री घटकर 20 से 25 लाख रुपए प्रति माह रह गई है। ऐसे में प्रबंधन को घाटे का डर सताने लगा है। सभी निगमों व बोर्डों ने सरकार से ठेके चलाने के लिए राशि देने की भी मांग की है। हालांकि सरकार ने निर्णय लिया है कि निगमों व बोर्डों को 6 फीसदी सिक्योरिटी अमाऊंट भी नहीं देना होगा।