Shimla: कैबिनेट में जाएगा ISBT शिमला, मैक्लोडगंज व कांगड़ा बस अड्डे का मामला

Edited By Kuldeep, Updated: 27 Nov, 2024 05:33 PM

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आईएसबीटी शिमला का मामला अब कैबिनेट में जाएगा। आईएसबीटी को लेकर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मामले को लेकर निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर से विस्तार से पूरी रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में अगली कैबिनेट में इस मामले को लेकर चर्चा होगी।

शिमला (राजेश): आईएसबीटी शिमला का मामला अब कैबिनेट में जाएगा। आईएसबीटी को लेकर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मामले को लेकर निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर से विस्तार से पूरी रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में अगली कैबिनेट में इस मामले को लेकर चर्चा होगी। आईएसबीटी संचालन कंपनी आईएसबीटी शिमला को सरकार को देना चाह रही है और इस एवज में 82 करोड़ की मांग कर रही है और सरकार के साथ हुई इस डील से बाहर निकलना चाहती है। ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि यह मामला कैबिनेट में लाया जाएगा।

वहीं पूरी छानबीन की जाएगी कि कब प्रोजैक्ट शुरू हुआ और कब यह तैयार हुआ और कैसे यह खरीद हुई। यह सभी रिपोर्ट निगम प्रबंधन को सरकार को देनी होगी। जानकारी के अनुसार आईएसबीटी शिमला की 17 वर्ष की लीज थी और 51 वर्ष के लिए अब चली गई है। वहीं इसके अतिरिक्त मैक्लोडगंज व कांगड़ा बस अड्डे का मामला भी कैबिनेट में ले जाया जाएगा। इसमें आर्बिट्रेशन का अवार्ड सरकार के खिलाफ आया है। इसमें 25 करोड़ जमा करवाने की बात कही गई है। ऐसे में इस मामले में सरकार ने पूरी डिटेल निगम प्रबंधन से मांगी है। कैबिनेट में इन दोनों मामलों पर फैसला होगा।       

आईएसबीटी संचालन कंपनी ने भी दिया है सरकार को सुझाव
इस मामले में संचालन कंपनी ने भी सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि सरकार इसे टेकओवर करे। वहीं नगर निगम को इससे पिछले कई वर्षों का लंबित प्रॉपर्टी टैक्स वसूल करना है। कंपनी से करीब 6 करोड़ 50 लाख रुपए की रिकवरी नगर निगम को करनी है, लेकिन बार-बार नोटिस देने के बाद भी आईएसबीटी से टैक्स वसूली नहीं हो पाई है, ऐसे में अब आईएसबीटी संचालन कंपनी ने इसे सरकार को देने का प्रस्ताव भेजा है।                            

बीओडी सदस्यों को देनी होगी कोर्ट में लगे केसों की जानकारी
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने निगम प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि निगम के कोर्ट में लगने वाले केसों की पूरी जानकारी बी.ओ.डी. सदस्यों को दें। इसमें केस हारे या जीते हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। निगम के 3 हजार केस कोर्ट में चल रहे हैं जिसमें केस हारे भी जा रहे हैं और निगम को पैसा देना पड़ रहा हैै। ऐसे में बोर्ड को इस संबंध में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

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