Edited By Kuldeep, Updated: 18 Jan, 2025 09:46 PM
अदालती आदेशों के बावजूद कर्मचारियों के बकाया वित्तीय लाभ जारी न करने के लिए वित्तीय संकट का बहाना बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
शिमला (मनोहर): अदालती आदेशों के बावजूद कर्मचारियों के बकाया वित्तीय लाभ जारी न करने के लिए वित्तीय संकट का बहाना बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ड्राइवरों व कंडक्टरों के बकाया वित्तीय लाभ जारी न करने पर एच.आर.टी.सी. के खिलाफ यह सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोर्ट के निर्णय का अक्षरशः अनुपालन किया जाना जरूरी है, खासकर तब जब निर्णय अंतिम हो गया हो। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सैंकड़ों कंडक्टरों द्वारा दायर अनुपालना याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्टेटस रिपोर्ट हेतु सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित करने के आदेश जारी किए।
एचआरटीसी द्वारा कोर्ट को बताया गया था कि राज्य सरकार समय-समय पर वेतन, सबसिडी और पूंजी निवेश के लिए अनुदान सहायता प्रदान करके परिवहन निगम को बचाने की कोशिश कर रही है, परंतु वित्तीय संकट के कारण कोर्ट के आदेशानुसार ड्राइवरों व कंडक्टरों के बकाया वित्तीय लाभ चुकाने में मुश्किल हो रही है। कोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय संकट का बहाना बनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि 9 नवम्बर 2023 को प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीस के उन ड्राइवरों व कंडक्टरों को 1 साल के बाद नियमित करने के आदेश जारी किए थे जो वर्ष 2003 से 2006 तक अनुबंध के आधार पर हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम द्वारा नियुक्त किए गए थे। हाईकोर्ट ने विभिन्न याचिकाओं का एक साथ निपटारा करते हुए यह स्पष्ट किया था कि इन ड्राइवरों व कंडक्टरों को नियमितीकरण से उपजे सभी सेवा लाभ 30 अप्रैल, 2024 तक अदा करने होंगे। यदि 30 अप्रैल, 2024 तक यह लाभ नहीं दिए तो देय राशि पर 6 फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा। अदालती आदेशों की अनुपालना न होने पर प्रार्थियों को हाईकोर्ट के समक्ष अनुपालना याचिकाएं दायर करनी पड़ी थीं।