Shimla: हिमाचल में पूर्व सैनिक नहीं सुरक्षित, बार-बार हो रहे हिंसा के शिकार

Edited By Kuldeep, Updated: 10 Nov, 2024 08:55 PM

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देश की सरहदों पर जान हथेली पर सेवारत रहे पूर्व सैनिक हिमाचल जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में भी सुरक्षित नहीं हैं और बार-बार हिंसा का शिकार हो रहे हैं। आए दिन पूर्व सैनिकों के साथ हो रही हिंसात्मक घटनाओं पर पूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा बिफर पड़ा है।

शिमला (संतोष): देश की सरहदों पर जान हथेली पर सेवारत रहे पूर्व सैनिक हिमाचल जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में भी सुरक्षित नहीं हैं और बार-बार हिंसा का शिकार हो रहे हैं। आए दिन पूर्व सैनिकों के साथ हो रही हिंसात्मक घटनाओं पर पूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा बिफर पड़ा है। मोर्चा ने प्रदेश के सभी जिलों के डी.सी. को पूर्व सैनिक हैल्पलाइन विंडो खोलने की गुहार लगाई है, लेकिन सिर्फ ऊना जिला में ही हैल्पलाइन विंडो खोलने का जिक्र हुआ है, अन्य जगहों पर अभी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा द्वारा बार-बार की जा रही अपील के तहत सेना मुख्यालय ने संज्ञान लेते हुए हैल्पलाइन खोल दी है और इसके लिए 155306 हैल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिस पर डायल कर मारपीट की घटना को आर्मी को बताया जा सकता है।

यहां से जारी बयान में संयुक्त मोर्चा ऑफ एक्स सर्विसमैन (जेसीओ एवं ओआर) के प्रदेशाध्यक्ष कैप्टन जगदीश वर्मा सेवानिवृत्त, महासचिव लैफ्टिनैंट रमेश कुमार तपवाल तथा कोषाध्यक्ष रोशन लाल चौहान ने दुख जताते हुए कहा कि राज्य में अगस्त महीने से तीन बहुत बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें पूर्व सैनिकों को मारपीट व पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न करने की घटनाओं का सामना करना पड़ा है। इन तीनों ही घटनाओं में पूर्व सैनिकों को लहूलुहान करके छोड़ दिया गया था तथा पुलिस ने भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की। इस प्रकार की शिकायतें पूर्व सैनिकों द्वारा इस संगठन को मिली है।

कैप्टन जगदीश वर्मा ने इन घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने संगठन की तरफ से बार-बार हो रही इन घटनाओं के रोकथाम के लिए प्रदेश के 12 जिलों के डीसी तथा सैनिक वैल्फेयर विभाग शिमला और सेना मुख्यालय दिल्ली को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह हर जिला में एक पूर्व सैनिक हैल्पलाइन विंडो खोलने का प्रावधान करें तथा इन पूर्व सैनिकों के जमीन संबंधी तथा दूसरे सेवा के दौरान लंबित मामलों को निपटाने के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी को नियुक्त करें, जो समयबद्ध तरीके से इसका समाधान करें। उन्होंने कहा कि जिला ऊना के डीसी ने वहां पर अपने कार्यालय में एक पूर्व सैनिक हैल्पलाइन विंडो की स्थापना कर दी है, जिसमें पूर्व सैनिक अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं, लेकिन राज्य के अन्य 11 जिलों में अभी इस व्यवस्था को शुरू नहीं किया गया है।

ये हुई हैं पूर्व सैनिकों के साथ हिंसा की घटनाएं
केस नंबर-1: अगस्त माह में मंडी सदर के कहनवाल गांव में पूर्व सैनिक हवलदार नेत्र सिंह एवं सूबेदार कश्मीर सिंह को खनन माफिया के कर्मचारियों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उन दोनों पूर्व सैनिकों को बहुत बुरी तरीके से बांधने के बाद पीट-पीट कर जख्मी कर दिया था।

केस नंबर-2: सितम्बर माह में उपमंडल घुमारवीं के अंतर्गत आने वाले गांव कसोल के सूबेदार सीताराम को भी किसी छोटे विवाद से गांववासियों की हिंसा का शिकार होना पड़ा और कान और सिर के ऊपर गहरी चोटें आने की शिकायत मिली है।

केस नंबर-3: 30 अक्तूबर को उपमंडल सुजानपुर टिहरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत बिजरोल के पलबू गांव के ऑनरेरी कैप्टन कालिदास को भी किसी जमीनी विवाद के चलते वहीं के स्थानीय निवासी ने जानलेवा हमला करके लहूलुहान करके छोड़ दिया और बुरी तरह से लोहे की रॉड से पीट डाला।

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