हिमाचल में गहरा सकता है कृषि संकट, धान व मक्की पर इन कीटों का हमला

Edited By Kuldeep, Updated: 02 Aug, 2024 06:17 PM

shimla himachal agriculture crisis

हिमाचल प्रदेश में कृषि संकट गहरा सकता है। सेब के बाद अब धान व मक्की की फसल पर कीटों ने हमला कर दिया है। इससे निचले क्षेत्र में दाेनों फसलों की पैदावार प्रभावित होगी तथा किसानों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है।

शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में कृषि संकट गहरा सकता है। सेब के बाद अब धान व मक्की की फसल पर कीटों ने हमला कर दिया है। इससे निचले क्षेत्र में दाेनों फसलों की पैदावार प्रभावित होगी तथा किसानों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है। उधर प्रदेश सरकार ने इसको लेकर रिपोर्ट तलब की है। राज्य में इस बार सूखे ने किसानों व बागवानों को भारी नुक्सान पहुंचाया है। पहले सूखे के कारण सेब बहुल क्षेत्रों में सेब के पौधों में अल्टरनेरिया रोग फैल गया, जिससे कई क्षेत्रों में 90 फीसदी तक बगीचे बर्बाद हो गए हैं। इससे सेब की पैदावार पर भी असर पड़ेगा। अब मौसम ने राज्य के किसानों की परेशानी का बढ़ा दिया है।

राज्य के ऊना, बिलासपुर, पालमपुर आदि क्षेत्रों में धान व मक्की फसल पर कीड़ों ने हमला बोला है। मक्की पर फॉल आर्मी वर्म तथा धान पर लीफ होल्डर नाम के कीट ने हमला बोला है। राज्य में मक्की की बुआई 2 लाख 71 हजार हैक्टेयर में की गई है। इसमें से 11,800 हैक्टेयर क्षेत्र पर मक्की के पौधे कीटों के हमले से प्रभावित हो चुके हैं। इसी तरह राज्य में धान की बुआई करीब 75 हजार हैक्टैयर क्षेत्र में की गई है। सरकार ने रिपोर्ट मांगी है कि धान की फसल कितने हैक्टेयर क्षेत्र में प्रभावित हुई है। वहीं निचले क्षेत्रों में इससे उन लोगों पर रोजी-रोटी का संकट भी गहरा गया है, जो पूरी तरह से किसानी पर ही निर्भर है।

कीटों के हमले का प्रमुख कारण सूखा
विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में धान व मक्की पर कीटों के हमले का प्रमुख कारण सूखा है। राज्य में ऊपरी व निचले क्षेत्रों में मानसून में भी बहुत कम बारिश हो रही है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से ऊपरी क्षेत्रों में बारिश हुई है लेकिन निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही है। बारिश नहीं होने व सूखे के कारण तापमान में हुई बढ़ौतरी से कीटों ने यह हमला बोला है।

बंदगोभी भी फसल कीटों के कारण खराब
जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में कीटों के हमले से बंदगोभी की फसल खराब हो गई है। रामपुर क्षेत्र से किसानों ने इसको लेकर कृषि विभाग से शिकायत भी की है। रामपुर के साथ-साथ जिला शिमला के मतियाणा, ठियोग व कंदरू क्षेत्र में बंदगोभी की अधिकांश फसल खराब हो गई है। किसानों को अंदेशा है कि बीज के खराब होने के कारण उनकी फसल खराब हुई है।

किसानों पर पड़ी दोहरी मार
राज्य के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो धान, मक्की व बंदगोभी में कीट लगने से किसानों को अधिक स्प्रे करनी पड़ रही है, जिससे उनकी लागत बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर जहां पैदावार कम होगी, वहीं मंडी में इसके दाम भी नहीं मिल रहे हैं। इससे उनको नुक्सान उठाना पड़ रहा है।

सरकार ने रिपोर्ट की तलब : चंद्र कुमार
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि धान, मक्की व बंदगोभी में कीट लगने को लेकर फील्ड से रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही इससे बचने के लिए विभाग ने स्प्रे शैड्यूल भी जारी किया है तथा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। उन्हें स्प्रे को करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि यह और क्षेत्रों को प्रभावित न करे।

राज्य में मक्की व धान का उत्पादन
राज्य में वर्ष 2019-20 में मक्की 729.23 मीट्रिक टन, वर्ष 2020-21 में 725.01, वर्ष 2021-22 में 759.61 तथा वर्ष 2022.23 में 741 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। इसी तरह धान का क्रमश: 143.66, 138.46, 199.05 तथा 143 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है।

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