Edited By Jyoti M, Updated: 05 Jan, 2025 10:19 AM
सस्ते राशन के डिपुओं में मक्की का आटा भी उपभोक्ताओं को मिलेगा। सर्दियों में लोग अक्सर घरों में मक्की की रोटियां खाते हैं। ऐसे में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना के तहत सरकार व विभाग डिपुओं में प्राकृतिक खेती से तैयार बेहतरीन गुणवत्ता...
शिमला, (राजेश): सस्ते राशन के डिपुओं में मक्की का आटा भी उपभोक्ताओं को मिलेगा। सर्दियों में लोग अक्सर घरों में मक्की की रोटियां खाते हैं। ऐसे में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना के तहत सरकार व विभाग डिपुओं में प्राकृतिक खेती से तैयार बेहतरीन गुणवत्ता वाला मक्की का आटा डिपुओं में उपलब्ध करवाएगा। डिपुओं में मक्की का आटा 50 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से मिलेगा।
डिपुओं में 1 से 5 किलो तक आटे की पैकिंग में उपलब्ध होगा। डिपुओं में मक्की का आटा उपलब्ध करवाया जाए। इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम की ओर से प्रदेश के डिपो संचालकों को पत्र भेज कर मक्की की आटे की डिमांड मांगी गई है। इस पर डिपो संचालकों को निगम की ओर से कमीशन भी दी जाएगी। डिपुओं में मक्की का आटा मिलने से लोगों को मक्की का आटा दुकानों से नहीं खरीदना पड़ेगा।
सरकार डिपो पर ही बेहतरीन व गुणवत्ता वाला आटा घर नजदीक खुले डिपो में उपलब्ध करवाएगी। हालांकि प्रदेश में मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर व अन्य कई जिलों में मक्की की पैदावार होती है और लोग चक्कियों पर अपना आय स्वयं पिसवाते हैं। जिन जिलों में मक्का कम पैदा होती है वहां लोग बाजारों से भी मक्की का आटा खरीदते हैं।
10 जिलों से सरकार ने किसानों से खरीदी थी 3905 क्विंटल मक्की
सरकार की राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना के तहत प्रदेश के किसानों को उचित लाभ प्रदान के तहत प्रदेश के 10 जिलों में मंडी लगाकर सरकार ने 3905 क्विंटल मक्की की खरीद की थी, वहीं उचित मूल्य प्रदान किया था। इससे प्रदेश के किसानों को सशक्त बनने में सरकार ने पहल कर मक्की खरीदी। भविष्य में भी सरकार किसानों से मक्की खरीदेगी।
इस माह उपभोक्ताओं से पूछेंगे कि मक्की आटा चाहिए या नहीं, फरवरी के लिए देंगे डिमांड
उधर, विभाग व निगम के द्वारा मक्की की आटे की डिमांड के बाद प्रदेश के डिपो संचालकों का कहना है कि इस माह डिपुओं में आने वाले उपभोक्ताओं से मक्की की आटे की डिमांड जानी जाएगी। यदि उपभोक्ता मक्की के आटे की मांग करते है तो निगम को मक्की की आटे की डिमांड भेजी जाएगी।
डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा कि उपभोक्ताओं से मक्की की आटे की डिमांड जानना जरूरी है। यदि डिमांड भेज दी और उपभोक्ताओं ने मक्की का आटा नहीं खरीदा तो। डिपो संचालकों को नुक्सान होगा। मक्की का आटा अधिक समय तक सही नहीं रहता है और खराब हो जाता है। ऐसे में उपभोक्ताओं की रुचि जानकार फरवरी माह के लिए डिमांड भेजेंगे।