Himachal 2024: ‘कभी खुशी कभी गम' के बीच राज्य सरकार के गले में अटका ‘समोसा', 'जंगली मुर्गा' ने भी बनाई चर्चा में जगह

Edited By Jyoti M, Updated: 31 Dec, 2024 04:26 PM

himachal pradesh 2024 samosa stuck in the throat of the state government

हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए वर्ष 2024 पहला साल था, लेकिन सब कुछ सकारात्मक नहीं रहा क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी राज्यसभा चुनाव हार गई, शिमला में सांप्रदायिक तनाव फैल गया, हालांकि राज्य विधानसभा को विधायक दंपति मिला, क्योंकि...

हिमाचल डेस्क (भाषा)। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए वर्ष 2024 पहला साल था, लेकिन सब कुछ सकारात्मक नहीं रहा क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी राज्यसभा चुनाव हार गई, शिमला में सांप्रदायिक तनाव फैल गया, हालांकि राज्य विधानसभा को विधायक दंपति मिला, क्योंकि मुख्यमंत्री सुक्खू की पत्नी कमलेश देहरा उपचुनाव जीत गईं। बीतने जा रहे बरस में कुछ मजेदार किस्से भी हुए।

‘समोसा' राज्य सरकार के गले में अटका और सीआईडी ​​जांच शुरू हुई। लुप्तप्राय 'जंगली मुर्गा' ने भी चर्चा में जगह बनाई। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा एक जलविद्युत कंपनी को 150 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने में विफल रहने के बाद दिल्ली में हिमाचल प्रदेश भवन को कुर्क करने का आदेश दिया। फरवरी में, कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी सत्तारूढ़ पार्टी के छह विधायकों द्वारा ‘क्रॉस-वोटिंग' करने के कारण राज्यसभा चुनाव हार गए।

यह पहला मौका था जब कोई सत्तारूढ़ पार्टी बहुमत के बावजूद राज्यसभा चुनाव हार गई। कांग्रेस के छह विधायकों को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने और वार्षिक बजट पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने के कारण दलबदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया था। कांग्रेस के बागियों की अयोग्यता के बाद खाली हुई सीटों को भरने के लिए जून में विधानसभा उपचुनाव हुए थे। कांग्रेस ने छह में से चार सीटें बरकरार रखीं। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी 23 मार्च को अपने इस्तीफे दे दिए थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें तीन जून को स्वीकार कर लिया। तीन सीटों को भरने के लिए जुलाई में उपचुनाव हुए, जिनमें से कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं।

विजेता उम्मीदवारों में से एक मुख्यमंत्री सुक्खू की पत्नी कमलेश थीं। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अपना पहला विधायक जोड़ा मिल गया। राज्य की 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की ताकत 40 पर वापस आ गई, जो 2022 के विधानसभा चुनावों में जीती गई सीटों की संख्या है। भाजपा की संख्या 25 से बढ़कर 28 हो गई। सितंबर में शिमला में हिंसा भड़क उठी थी, जब कुछ स्थानीय लोगों ने संजौली इलाके में एक मस्जिद के ‘अवैध' हिस्से को गिराने की मांग की थी।

11 सितंबर को प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हुई, उन्होंने बैरिकेड तोड़े और पथराव किया। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार और लाठियों का इस्तेमाल किया। राज्य की पहली सांप्रदायिक हिंसा में पुलिस और महिलाओं सहित लगभग 10 लोग घायल हुए। मस्जिद समिति ने अनधिकृत मंजिलों को गिराने पर सहमति जताई है और काम प्रगति पर है। राज्य में 27 जून से 2 अक्टूबर के बीच बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने कई लोगों की जान ले ली। बादल फटने की घटनाओं में कुल 65 लोगों की मौत हो गई। बादल फटने की सबसे घातक घटना 31 जुलाई की रात को हुई थी, जब शिमला, कुल्लू और मंडी जिलों में स्कूली बच्चों सहित 55 लोगों की मौत हो गई थी। हिमाचल प्रदेश ने 1901 के बाद से अपना तीसरा सबसे सूखा ‘पोस्ट-मॉनसून सीजन' देखा, जिसमें बारिश की कमी 98 प्रतिशत रही। शिमला में 10 साल के अंतराल के बाद दिसंबर में हल्की बर्फबारी के दो दौर हुए।

राज्य की वित्तीय परेशानियों के कारण सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी हुई। सरकार को झटका देते हुए, उच्च न्यायालय ने नवंबर में दिल्ली के मंडी हाउस में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया, ताकि सेली हाइड्रोपावर इलेक्ट्रिकल कंपनी को सरकार द्वारा दिए जाने वाले 150 करोड़ रुपये की वसूली की जा सके। कुछ दिनों बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की घाटे वाली 18 इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया। हालांकि, आदेश को एक खंडपीठ ने रोक दिया था। इस सब के बीच, सुक्खू सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन और राज्य को कर्ज में धकेलने के आरोप लगे।

विधानसभा उपचुनाव जीतने के तुरंत बाद, सरकार ने पानी और बिजली पर सब्सिडी में कटौती, डीजल पर जीएसटी बढ़ाना और राजस्व बढ़ाने के लिए दूध पर उपकर लगाने जैसे कई कदम उठाए। ‘समोसा गायब होने के' अजीबोगरीब मामले ने हिमाचल प्रदेश पुलिस को परेशान कर दिया, जिससे राजनीतिक विवाद शुरू हो गया और सोशल मीडिया पर ‘मीम' की बाढ़ आ गई। सीआईडी ​​मुख्यालय में 21 अक्टूबर को एक समारोह में सुक्खू को परोसे जाने वाले समोसे और केक के तीन डिब्बे उनके सुरक्षा कर्मचारियों को परोस दिए गए। विवाद यहीं से शुरू हुआ। सीआईडी ​​ने मामले की जांच शुरू की, जिसने इस घटना को ‘सरकार विरोधी' करार दिया।

भाजपा ने सरकार की आलोचना की और उसकी प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए। सुक्खू और उनके भोजन ने दिसंबर में फिर से सुर्खियां बटोरीं, जब एक वीडियो में उन्हें शिमला के एक दूरदराज के इलाके में रात्रिभोज के दौरान अपने सहयोगियों को कथित तौर पर 'जंगली मुर्गा' (ग्रे जंगली मुर्गा) खाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए दिखाया गया था। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस आरोप का खंडन किया था। इस मामले में मानहानि और झूठी खबर फैलाने के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह मुद्दा उठाते हुए, भाजपा ने दावा किया कि 'जंगली मुर्गा' वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 की अनुसूची एक के तहत सूचीबद्ध एक लुप्तप्राय प्रजाति है और इसका शिकार करना या खाना अवैध है। प्रति घंटे के आधार पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती की नीति ने बेरोजगार युवाओं, राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों की त्योरियां चढ़ा दीं।

राज्य सरकार ने इसे एक अस्थायी व्यवस्था बताते हुए कहा कि वह शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों में 15,000 शिक्षकों की भर्ती कर रही है और 3,000 से अधिक की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है। राज्य विधानसभा ने 20 दिसंबर को, हिमाचल प्रदेश भूमि जोत सीलिंग (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिससे सरकार को धार्मिक, आध्यात्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए 30 एकड़ की अधिकतम सीमा के अधीन भूमि या संरचना हस्तांतरित करने की अनुमति मिल गई। 

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