Edited By Kuldeep, Updated: 12 May, 2025 07:04 PM

राज्य के सरकारी अस्पतालों व मैडीकल कालेजों में नर्सों के करीब 2500 पद खाली पड़े हैं और सरकार बैचवाइज व कमीशन के आधार पर भर्ती करने के बजाय आऊटसोर्सिंग कर रही है, जिसका हिमाचल प्रदेश नर्स एसोसिएशन (एचपीटीयूएनए) ने कड़ी निंदा की है।
शिमला (ब्यूरो): राज्य के सरकारी अस्पतालों व मैडीकल कालेजों में नर्सों के करीब 2500 पद खाली पड़े हैं और सरकार बैचवाइज व कमीशन के आधार पर भर्ती करने के बजाय आऊटसोर्सिंग कर रही है, जिसका हिमाचल प्रदेश नर्स एसोसिएशन (एचपीटीयूएनए) ने कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन की अध्यक्ष शिवानी शर्मा व अन्य सदस्यों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बेरोजगार नर्सें राज्य में नर्सिंग पेशे के भविष्य को लेकर नियमित रोजगार के अवसरों की कमी के कारण चिंता व्यक्त कर रही हैं।
वह सरकार से मांग कर रही हैं कि स्टाफ नर्स के रिक्त पदों को आऊटसोर्सिंग की बजाय बैचवाइज या कमीशन आधारित भर्ती के माध्यम से भरा जाए। उन्होंने कहा कि एचपीटीयूएनए ने सरकार की प्रस्तावित आऊटसोर्सिंग योजना की निंदा की है और अनुरोध किया है कि पदों को भर्ती और पदोन्नति (आर. एंड पी.) नियमों के अनुसार भरा जाए, क्योंकि एसोसिएशन आऊटसोर्सिंग के विरोध में नियमित आधार पर स्टाफ नर्सों की भर्ती की वकालत कर रही है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नर्सों के 1300 तथा मैडीकल कालेजों में 1200 से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं। एसोसिएशन ने इन पदों को आऊटसोर्सिंग के माध्यम से भरने की सरकार की योजना पर कड़ी असहमति व्यक्त की है और तर्क दिया है कि यह नर्सिंग पेशे के लिए हानिकारक है। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तथा स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल से अनुरोध है कि वह स्थिति पर ध्यान दें तथा रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार कार्रवाई करें।