Edited By Kuldeep, Updated: 08 Jul, 2025 09:40 PM
यैलो अलर्ट के बीच में सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में झमाझम मेघ बरसे। यहां सर्वाधिक 70 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई, जबकि राजधानी शिमला में हल्की बारिश हुई।
शिमला (संतोष): यैलो अलर्ट के बीच में सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में झमाझम मेघ बरसे। यहां सर्वाधिक 70 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई, जबकि राजधानी शिमला में हल्की बारिश हुई। शिमला में 1, धर्मशाला में 4, मनाली में 12, कांगड़ा में 5, बिलासपुर में 0.5, हमीरपुर में 2, धौलाकुंआ में 22.5 मिलीमीटर वर्षा हुई। नेरी में अधिकतम तापमान 35 डिग्री रहा, जबकि ऊना में 34.2 व शिमला में 23.6 डिग्री रहा।
इससे पहले सोमवार रात्रि को पच्छाद में सर्वाधिक 10, गोहर में 9, बैजनाथ में 6, नाहन में 5, पांवटा साहिब में 5, नयना देवी में 5, रेणुका/ददाहू में 4, कसौली में 4, राजगढ़ में 3, जोगिंद्रनगर में 3, पालमपुर में 3, शिमला में 2, धर्मपुर सोलन में 1, कांगड़ा में 1, मंडी व जाटो बैराज में 1-1 सैंटीमीटर वर्षा हुई। बारिश का दौर जारी रहने से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है और बुधवार को 8 जिलों चम्बा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन व ऊना में फ्लैश फ्लड का यैलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार 14 जुलाई को कहीं-कहीं पर भारी बारिश की संभावनाओं के साथ यैलो अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें मैदानी/निचले व मध्य इलाकों में इसकी हलचल तेज रहेगी, जबकि उच्च पर्वतीय इलाकों में कम असर रहेगा।
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेशभर में सड़कों, बिजली और जलापूर्ति जैसी जरूरी सुविधाएं प्रभावित हो गई हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मंगलवार तक प्रदेश में 227 सड़कों पर यातायात पूरी तरह बंद है और 163 ट्रांसफार्मर बंद हो चुके हैं और 174 पेयजल योजनाएं बाधित हुई हैं। इन्हें दुरुस्त बनाने के लिए मशीनरी व लेबर जुटी हुई है। इनमें मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 153 सड़कें, 140 ट्रांसफार्मर और 158 जल योजनाएं अभी भी ठप्प पड़ी हैं। प्रशासन राहत और बहाली के कार्यों को युद्धस्तर पर अंजाम दे रहा है।
प्रदेश में इस मानसून सीजन ने अब तक भीषण तबाही मचाई है। 20 जून से अब तक बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में 80 लोगों की जान जा चुकी है। 128 लोग घायल हुए हैं और 35 लापता हैं। इस अवधि में 164 मकान पूरी तरह और 191 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। साथ ही 364 गौशालाएं और 27 दुकानें बारिश और भूस्खलन की चपेट में आई हैं। पशुधन को भी भारी नुक्सान हुआ है। अब तक 254 मवेशियों और 10 हजार पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।
मानसून की तबाही से राज्य को अब तक 692 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुक्सान हुआ है। इसमें सबसे अधिक नुक्सान जल शक्ति विभाग को 391 करोड़ रुपए और लोक निर्माण विभाग को 292 करोड़ रुपए का हुआ है। मंडी जिला अब तक सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शामिल है। 30 जून की रात को मंडी में 12 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। जिले में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 28 लोग लापता हैं।
प्रदेशभर में बादल फटने से अब तक 14 लोगों की, बाढ़ से 8, पानी में बहने से 8, पहाड़ी से गिरने से 9, करंट लगने से 4 और सड़क हादसों में 28 लोगों की जान जा चुकी है। मौसम विभाग की चेतावनियों के बीच प्रशासन ने लोगों से सतर्कता बरतने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है।