Shimla: केंद्र सरकार का एक राष्ट्र-एक चुनाव निर्णय ऐतिहासिक कदम : जयराम

Edited By Kuldeep, Updated: 21 Feb, 2025 09:16 PM

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नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से एक राष्ट्र-एक चुनाव का निर्णय ऐतिहासिक है।

शिमला (हैडली): नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से एक राष्ट्र-एक चुनाव का निर्णय ऐतिहासिक है। इससे जनहित के कार्य के लिए अधिक समय मिलेगा तथा धन की बचत भी होगी। साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था के साथ सुरक्षा बलों पर तनाव को कम किया जा सकेगा। जयराम ठाकुर ने यहां जारी बयान में कहा कि 12 दिसम्बर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के बिल के 11 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इसके लिए कैबिनेट ने सितम्बर 2024 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1952 से 2023 तक देश में हर वर्ष लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के औसतन 6 चुनाव हुए।

इसमें अगर स्थानीय चुनाव को भी जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा। एक राष्ट्र-एक चुनाव से आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में विलंब नहीं होगा, किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए पहली बार आम चुनाव 1951-1952 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह प्रथा बाद के 3 लोकसभा चुनाव में वर्ष 1967 तक जारी रही। इसके बाद यह चक्र पहली बार वर्ष 1959 में उस समय टूटा जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने केरल सरकार को बर्खास्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 का प्रयोग किया। इसके बाद पार्टियों के बीच दल-बदल के कारण वर्ष 1960 के बाद कई विधानसभाएं भंग हो गईं। वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं।

वर्ष 1999 में न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले भारतीय विधि आयोग ने भी एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी. कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे।

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