बजट सत्र : हम खैरात नहीं संविधान में दिए अधिकारों के तहत प्रदेश का हक मांग रहे : सुक्खू

Edited By Kuldeep, Updated: 10 Mar, 2025 06:12 PM

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राज्यपाल के अभिभाषण से विधानसभा के बजट सत्र की शुरूआत हुई है। कांग्रेस सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन के तहत जो नीतिगत बदलाव लाया है, उसे अभिभाषण में प्रस्तुत किया गया है।

शिमला (राक्टा): राज्यपाल के अभिभाषण से विधानसभा के बजट सत्र की शुरूआत हुई है। कांग्रेस सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन के तहत जो नीतिगत बदलाव लाया है, उसे अभिभाषण में प्रस्तुत किया गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सोमवार को राज्यपाल द्वारा सदन में दिए गए अभिभाषण के उपरांत मीडिया से यह बात कही। उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि केंद्र के कुछ नेता यहां आकर कहते हैं कि यदि केंद्रीय अनुदान न मिले तो प्रदेश सरकार नहीं चल सकती है। सीएम ने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो भी भाजपा शासित राज्यों की सरकार को केंद्रीय अनुदान मिलता था। 

उन्होंने कहा कि हम खैरात नहीं मांग रहे, संविधान के दिए अधिकारों के तहत प्रदेश का हक मांग रहे हैं। सीएम ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा नीतियों और कानूनों में किए बदलाव से प्रदेश की जीडीपी के साथ ही अर्थव्यवस्था में ग्रोथ हो रही है। हालांकि थोड़ा समय अभी कष्टदायक है लेकिन सरकार हर चुनौती से मुकाबला करने को पूरी तरह से तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल गरीब राज्य नहीं है। यदि प्रदेश की संपदा का पूरा हक मिले तो हिमाचल को देश का सबसे अमीर राज्य बनने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि एसजीवीएलएल प्रदेश के पानी से आज 67 हजार करोड़ रुपए की कंपनी बन गई है जबकि राज्य का बजट 58 हजार करोड़ है। ऐसे में राज्य को उसकी बहुमूल्य संपदा का पूरा हक मिलना चाहिए।

पहले 3800 करोड़, अब 200 से 250 करोड़
सीएम ने कहा कि जब जीएसटी लागू नहीं था, तब प्रदेश को वैट और एक्साइज के रूप में हर वर्ष 3800 करोड़ रुपए प्राप्त होते थे। इसके तहत औद्योगिक क्षेत्र बद्दी से ही 3 हजार करोड़ रुपए आता था लेकिन अब यहां से जीएसटी के रूप में महज 200 से 250 करोड़ आ रहा है।

एनपीएस के 9200 करोड़ लौटाए केंद्र
सीएम ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही ओपीएस को बहाल किया है। ऐसे में केंद्र के पास एनपीएस की जो 9200 करोड़ रुपए की राशि पड़ी है, उसे वापस लौटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये पैसा प्रदेश सरकार व राज्य के कर्मचारियों का है, ऐसे में केंद्र सरकार इस राशि का लौटाए।

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