Edited By Jyoti M, Updated: 27 Aug, 2025 08:21 AM

शिमला के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय (आईजीएमसी) में स्क्रब टाइफस का प्रकोप बढ़ रहा है। हाल ही में इस बीमारी से एक और महिला मरीज की मौत हो गई, जिससे इस सीजन में मरने वालों की संख्या दो हो गई है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक...
हिमाचल डेस्क। शिमला के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय (आईजीएमसी) में स्क्रब टाइफस का प्रकोप बढ़ रहा है। हाल ही में इस बीमारी से एक और महिला मरीज की मौत हो गई, जिससे इस सीजन में मरने वालों की संख्या दो हो गई है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने इस दुखद खबर की पुष्टि की। अब तक आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस के कुल 56 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जो चिंता का विषय है।
अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, 74 वर्षीय चंपा देवी, जो कुमारसैन तहसील के गांव भरेरी धार की रहने वाली थीं, को 22 अगस्त को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें महिला मेडिसिन वार्ड के आईसीयू में रखा गया। जांच के बाद पता चला कि उन्हें सैप्सिस मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम है और परीक्षण में स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई। डॉक्टरों की टीम ने लगातार उनका इलाज किया, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। 25 अगस्त की शाम को कार्डियो पल्मोनरी अरेस्ट (हृदय और श्वसन गति रुकना) के कारण उनका निधन हो गया।
क्या है स्क्रब टाइफस?
स्क्रब टाइफस ऑरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो संक्रमित छोटे कीटों (माइट्स) के काटने से फैलती है। ये कीट अक्सर झाड़ियों, खेतों और घास वाली जगहों पर पाए जाते हैं।
लक्षण और बचाव:
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और शरीर पर कीट के काटने वाली जगह पर काली पपड़ी जैसी सूजन शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से सावधानी बरतने की अपील की है। खेतों और झाड़ियों में काम करते समय पूरे बाजू के कपड़े और जूते पहनना अनिवार्य है। घर के आसपास की झाड़ियों और घास की सफाई का ध्यान रखें। पालतू जानवरों की नियमित जांच कराएं, क्योंकि वे भी इन कीटों को घर ला सकते हैं। यदि तेज बुखार या स्क्रब टाइफस के कोई भी संदिग्ध लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आईजीएमसी में जांच करवाएं ताकि समय पर इलाज मिल सके।