Edited By Vijay, Updated: 28 Sep, 2024 07:21 PM
पड़ोसी राज्य हरियाणा एवं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच राज्य सरकार इस बार कर्मचारियों को वेतन 1 एवं पैंशन 9 अक्तूबर को देगी।
शिमला (कुलदीप): पड़ोसी राज्य हरियाणा एवं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच राज्य सरकार इस बार कर्मचारियों को वेतन 1 एवं पैंशन 9 अक्तूबर को देगी। पिछली बार वेतन की अदायगी 5 व पैंशन 10 तारीख को दी गई थी। वित्त विभाग की तरफ से सरकारी कोषागार में नकदी के प्रवाह की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय राज्य सरकार की तरफ से लिया गया है। सरकार का कहना है कि वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीकों से उपयोग करने से ऐसा संभव हो पाया है।
राज्य सरकार अपनी प्राप्तियों एवं खर्चों में संतुलन बिठा रही है, जिससे ऋण राशि को सही समय पर लिया जा रहा है। ऐसा करके ऋण पर दिए जाने वाले ब्याज को कम किया जा सकेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गत 4 सितम्बर को विधानसभा में स्पष्ट किया था कि सितम्बर महीने के वेतन के लिए वित्तीय स्थिति का आकलन करने के बाद 28 या 29 सितम्बर को इस पर निर्णय लिया जाएगा। मौजूदा समय में प्रदेश के कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया है तथा उनको अपनी मासिक किस्त पहली तारीख को अदा करनी पड़ती है।
वेतन-पैंशन विलम्ब को लेकर सरकार का तर्क
पिछली बार वेतन 5 व पैंशन 10 तारीख को देने के पीछे यह तर्क दिया था कि राज्य सरकार को राजस्व घाटा अनुदान (आ.डी.जी.) के 520 करोड़ रुपए 6 तारीख एवं केंद्रीय करों के शेयर के 740 करोड़ रुपए 10 तारीख को मिलती है। ऐसा करके सरकार महीने में लिए जाने वाले ऋण से 3 करोड़ रुपए की बचत करेगी। यदि सरकार वर्ष भर वेतन एवं पैंशन 5 व 10 तारीख को देती है तो इससे 36 करोड़ रुपए की बचत कर सकती है।
मौजूदा समय में सरकार को वेतन पर प्रतिमाह 1,200 करोड़ रुपए एवं पैंशन पर 800 करोड़ रुपए व्यय करने पड़ रहे हैं। इधर, सरकार के पास दिसम्बर माह तक 2,317 करोड़ रुपए ऋण लेने का विकल्प बचा है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने अपने और मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ कैबिनेट रैंक के वेतन व भत्ते 2 माह के लिए विलंबित करने का निर्णय विधानसभा के मानसून सत्र में लिया था।
बजट की 42 फीसदी राशि वेतन व पैंशन पर खर्च
वर्तमान समय में सरकार को अपने बजट की 42 फीसदी राशि वेतन एवं पैंशन पर खर्च करनी पड़ रही है। यानी बजट के 100 रुपए में से 25 रुपए वेतन एवं 17 रुपए पैंशन पर खर्च करने पड़ रहे हैं। राज्य सरकार पर इस समय करीब 86,589 करोड़ रुपए कर्ज चढ़ चुका है। इस तरह पहले लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए कुल बजट की 9 फीसदी राशि एवं कर्ज की ब्याज पर कुल बजट के 11 रुपए व्यय करने पड़ रहे हैं। ऐसे में यदि वेतन-पैंशन एवं पहले लिए गए कर्ज व ब्याज की राशि जोड़ दी जाए तो सरकार का कुल 62 फीसदी बजट इसी कार्य पर खर्च हो रहा है। ऐसे में बजट की सिर्फ 28 फीसदी राशि ही विकास कार्य पर खर्च हो रही है।
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