Edited By Jyoti M, Updated: 26 Dec, 2025 11:56 AM

हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस समय वेंटिलेटर पर नज़र आ रही है। राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में एक मरीज और डॉक्टर के बीच हुई हाथापाई ने अब एक बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक संकट का रूप ले लिया है।
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस समय वेंटिलेटर पर नज़र आ रही है। राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में एक मरीज और डॉक्टर के बीच हुई हाथापाई ने अब एक बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक संकट का रूप ले लिया है। सरकार द्वारा डॉक्टर के खिलाफ की गई कड़ी कार्रवाई के विरोध में प्रदेश भर के करीब 2800 डॉक्टर लामबंद हो गए हैं, जिससे अस्पतालों में सन्नाटा पसरा है और मरीज बेहाल हैं।
क्यों ठप हुई ओपीडी? विवाद की जड़
मामला तब गरमाया जब आईजीएमसी शिमला में एक डॉक्टर पर मरीज के साथ मारपीट करने का आरोप लगा। सुक्खू सरकार ने इस पर त्वरित एक्शन लेते हुए संबंधित डॉक्टर को बर्खास्त करने का फैसला सुनाया। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) और अन्य चिकित्सा संगठनों का तर्क है कि बिना पूरी जांच के एकतरफा बर्खास्तगी गलत है। इसी के विरोध में डॉक्टरों ने शुक्रवार को सामूहिक अवकाश (Mass Leave) का ऐलान कर दिया।
मुख्यमंत्री आवास पर मंथन और मरीजों का दर्द
शुक्रवार सुबह से ही डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सरकारी आवास 'ओक ओवर' में डटा रहा। हालांकि, लंबी बातचीत के बाद भी कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिखा और मुख्यमंत्री अपने पूर्व निर्धारित बिलासपुर दौरे पर रवाना हो गए।
इस प्रशासनिक खींचतान का सबसे बुरा असर उन गरीब मरीजों पर पड़ा है जो मीलों दूर से पहाड़ लांघकर इलाज की उम्मीद में आए थे।
ऑपरेशन और टेस्ट ठप: आईजीएमसी में प्रतिदिन होने वाले लगभग 100 ऑपरेशनों पर ब्रेक लग गया है। एमआरआई और अन्य महत्वपूर्ण टेस्ट के लिए आए लोगों को शनिवार तक का इंतज़ार करने को कहा गया है।
आंकड़ों में संकट की गंभीरता
2800+ डॉक्टर पूरे प्रदेश में हड़ताल पर हैं।
450 डॉक्टर अकेले आईजीएमसी शिमला में सामूहिक छुट्टी पर गए।
50% स्टाफ पहले ही 22 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश (Winter Break) पर है।
शून्य ओपीडी: फिलहाल प्रमुख अस्पतालों की ओपीडी में ताले लटके हैं।
सियासी तपिश: जयराम ठाकुर के तीखे प्रहार
इस अव्यवस्था को लेकर सूबे की राजनीति भी गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेश में 'व्यवस्था परिवर्तन' के नाम पर अराजकता फैल रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ एम्बुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं, दूसरी तरफ डॉक्टर सड़कों पर हैं; ऐसे में बीमार जनता कहाँ जाए? उन्होंने सवाल उठाया कि आधे डॉक्टर पहले ही छुट्टियों पर हैं, ऐसे में सरकार का प्रबंधन पूरी तरह फेल हो चुका है।
आगे क्या?
डॉक्टरों की मांग स्पष्ट है—डॉ. राघव की बर्खास्तगी वापस ली जाए। वहीं, आम जनता इस बात से परेशान है कि डॉक्टर और सरकार की इस लड़ाई में बलि का बकरा मरीज बन रहा है।