Edited By Vijay, Updated: 01 Dec, 2022 10:52 PM
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने वीरवार को मॉडल केंद्रीय कारागार कंडा में प्रदेश कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग द्वारा बंदियों के लिए 7 नई योजनाओं के शुभारंभ किए। इनमें ध्यान कार्यक्रम, टैलीमैडीसन परियोजना, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम, अपशिष्ट...
शिमला (ब्यूरो): राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने वीरवार को मॉडल केंद्रीय कारागार कंडा में प्रदेश कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग द्वारा बंदियों के लिए 7 नई योजनाओं के शुभारंभ किए। इनमें ध्यान कार्यक्रम, टैलीमैडीसन परियोजना, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम, अपशिष्ट प्रबंधन, नि:शुल्क ऑनलाइन कोचिंग, ऑडियो लाइब्रेरी तथा कविता संग्रह परवाज का विमोचन शामिल हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि उनके लिए ये भावुक क्षण हैं कि वे बंदियों के बीच आकर उनके कौशल को देख पाए हैं। उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कारागार एवं सुवधार सेवाएं सतवंत अटवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से कारागार कैसे सुधार गृह में परिवर्तित हुआ है। उन्होंने कहा कि बंदियों के भी विचार और भावनाएं होती हैं, जिस कारण वे यहां पहुंचे, वह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उनका समय यहीं समाप्त नहीं हो जाता है। इनके लिए भविष्य की नई उम्मीदें राह देख रही हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सक बंदियों को देंगे ऑनलाइन परामर्श
अर्लेकर ने कहा कि यह सुधार गृह है, इसलिए विभिन्न कार्यक्रम बंदियों के लिए चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों को अपनाने से उन्हें तो फायदा होगा ही, वहीं समाज के हित में भी है। राज्यपाल बंदियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम देखकर प्रभावित हुए। इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अभिषेक त्रिवेदी और राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा सहित अन्य गण्यमान्य लोग भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इससे पूर्व राज्यपाल ने ट्रांसेंडैंटल मैडीटेशन कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण का शुभारंभ किया। इसे ट्रांसेंडैंटल मैडीटेशन संस्था द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से ई-संजीवनी द्वारा कारागारों में टैलीमैडीसन कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया। इस कार्यक्रम में बंदियों को विशेषज्ञ चिकित्सक ऑनलाइन परामर्श देंगे। उन्होंने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से बंदियों के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया।
महिला बंदियों को मुक्त कारागार की सुविधा देने वाला पहला राज्य : अटवाल
इस अवसर पर एडीजी जेल सतवंत अटवाल ने कहा कि प्रदेश की समस्त कारागारों में एक बैरक को मुक्त कारागार घोषित किया गया है। इनमें पात्र बंदी कारागार से बाहर जाकर आजीविका कमा कर अपने परिवार का बेहतर पालन-पोषण कर रहे हैं। हिमाचल देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने पात्र महिला बंदियों का मुक्त कारागार की सुविधा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि देश की अन्य कारागारें हिमाचल का अनुसरण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थाओं ने इन कार्यों की सराहना की है और 9 अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कृत भी किया है।
कंडा कारागार में किया पौधारोपण
राज्यपाल ने बंदियों के बच्चों के लिए स्माइल फाऊंडेशन के सहयोग से फ्री ऑनलाइन कोचिंग का भी शुभारंभ किया। जो बंदी पुस्तकें पढ़ नहीं सकते हैं तथा समय के अभाव के कारण पढ़ नहीं पाते, उनके लिए ऑडियो लाइब्रेरी का शुभारंभ किया। इसके पश्चात राज्यपाल ने कंडा कारागार में पौधा भी रोपा। उन्होंने विभिन्न इकाइयों का निरीक्षण भी किया, जहां बंदी विभिन्न उत्पाद तैयार कर रहे हैं।
वेस्ट को सैग्रिगेट करना सीखेंगे बंदी
कारागार विभाग ने वेस्ट वारियर्स सोसायटी धर्मशाला के साथ मिलकर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वेस्ट अंडर अरेस्ट प्रोग्राम के तहत एक वेस्ट मैनेजमैंट यूनिट धर्मशाला में स्थापित किया है। ऐसी इकाइयां प्रदेश के अन्य सभी जेलों में भी संचालित की जाएंगी। इन इकाइयों में 2 तरफा रणनीति रहेगी। बंदियों को वेस्ट को सैग्रिगेट करना सिखाया जाएगा और दूसरे उन्हें वेस्ट अपसाइकलिंग टैक्नीक जैसे ग्रीन वेस्ट से वर्मी कम्पोस्ट और टैटरा पैक से बोर्ड बनाना सिखाया जाएगा। सोसायटी के सहयोग से अपशिष्ट प्रबंधन का भी राज्यपाल ने शुभारंभ किया।
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