Edited By Ekta, Updated: 05 Apr, 2018 09:23 AM

संगठन की पृष्ठभूमि से निकलकर मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर के सामने अब सत्ता-संगठन के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती आ खड़ी हुई है। इसके चलते मंत्रिमंडल में स्थान पाने से चूके वरिष्ठ विधायकों को सरकार में एडजस्ट करने की कोशिशें मुख्यमंत्री की ओर से शुरू...
शिमला (पत्थरिया): संगठन की पृष्ठभूमि से निकलकर मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर के सामने अब सत्ता-संगठन के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती आ खड़ी हुई है। इसके चलते मंत्रिमंडल में स्थान पाने से चूके वरिष्ठ विधायकों को सरकार में एडजस्ट करने की कोशिशें मुख्यमंत्री की ओर से शुरू हो गई हैं। 3 माह के कार्यकाल में जयराम को वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला की नाराजगी से दो-चार होना पड़ गया है। सूत्रों की मानें तो नौबत इस्तीफे तक भी पहुंच गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत मामले को सुलझा लिया है। वहीं वरिष्ठ विधायक व 2 बार मंत्री रह चुके नरेंद्र बरागटा भी सरकार से कुछ ज्यादा खुश नहीं चल रहे हैं। क्योंकि इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का दावा मंत्री पद के लिए रहा है, परन्तु सत्ता परिवर्तन के साथ अचानक हुए नेतृत्व परिवर्तन की हवा इनके अनुकूल नहीं रही। वे मंत्रिमंडल में स्थान पाने से चूक गए थे।
नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया की नाराजगी तो सदन के अंदर भी देखने को मिली है। प्रदेश भाजपा संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के जरूरत से ज्यादा ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र में दखल से वहां के विधायक रमेश धवाला काफी परेशान चल रहे हैं, क्योंकि सरकार में तबादले व विकास कार्यों सहित अन्य छोटे-बड़े कामों के लिए ज्वालामुखी के कई कार्यकर्ता विधायक की बजाय इस वरिष्ठ पदाधिकारी के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। वहीं धवाला समर्थक अपने नेता को मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने की एक बड़ी वजह भी इसी पदाधिकारी को मानते आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस सबसे तंग आकर पिछले दिनों धवाला ने विधायक पद से इस्तीफा देने की बात कह दी थी, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद शांत किया। उनके साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
धवाला को मुख्य सचेतक और बरागटा को उप मुख्य सचेतक बनाए जाने की चर्चा
मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल मामले को शांत कर दिया है। इसी बीच धवाला को सरकार में एडजस्ट करने के लिए उन्हें कैबिनेट रैंक के साथ मुख्य सचेतक बनाए जाने की भी सूचना है। वहीं राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी आम है कि वरिष्ठ विधायक नरेंद्र बरागटा को राज्यमंत्री के दर्जे के साथ उप मुख्य सचेतक बनाया जाएगा। हालांकि इन दोनों पदों की व्यवस्था विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से रहती है तथा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ही दोनों दलों की ओर से भेजे गए नामों पर मुहर लगाई जाती रही है। लेकिन इन्हें सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं दी जाती रही हैं। लेकिन आज विधानसभा में इस संदर्भ में एक बिल पेश किया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि आने वाले दिनों में कैबिनेट और राज्यमंत्री की सुख-सुविधाओं वाले इन पदों पर धवाला और नरेंद्र बरागटा की ताजपोशी की जा सकती है। इन दोनों वरिष्ठ विधायकों को सरकार में एडजस्ट करने के लिए पहली बार इन पदों को सुख-सुविधाओं के साथ सृजित किया जा रहा है।