Edited By Vijay, Updated: 26 Aug, 2025 09:51 PM

मंडी जिले के बरोट क्षेत्र में भारी बारिश के चलते ऊहल नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है और पानी का बहाव 50,000 क्यूबिक से अधिक दर्ज किया गया है।
जोगिंद्रनगर (विनोद): मंडी जिले के बरोट क्षेत्र में भारी बारिश के चलते ऊहल नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है और पानी का बहाव 50,000 क्यूबिक से अधिक दर्ज किया गया है। इसके साथ ही नदी में गाद की मात्रा भी अत्यधिक बढ़ गई है। वर्तमान में यह स्तर 45,000 पीपीएम तक पहुंच चुका है, जो किसी भी जलविद्युत परियोजना के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है।
जलस्तर और गाद की अधिकता को देखते हुए शानन विद्युत परियोजना और बस्सी विद्युत परियोजना में बिजली उत्पादन अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। शानन परियोजना 110 मैगावाट क्षमता की है, जिसका संचालन पंजाब राज्य बिजली बोर्ड करता है, जबकि बस्सी परियोजना की क्षमता 76 मैगावाट है और यह हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के अधीन आती है। इन दोनों परियोजनाओं में पानी की आती मात्रा को नियंत्रित करने के लिए ऊहल विद्युत परियोजना में लगे रेजर वायर के सब गेट्स खोल दिए गए हैं, ताकि पानी का दबाव कम किया जा सके और किसी बड़े हादसे से बचाव हो सके।
पानी में अत्यधिक गाद होने के कारण टरबाइनों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है, इसी के चलते एहतियातन यह निर्णय लिया गया है। परियोजना अधिकारियों का कहना है कि जब तक जलस्तर सामान्य नहीं होता और पानी में गाद की मात्रा मानक सीमा में नहीं आती, तब तक विद्युत उत्पादन शुरू नहीं किया जा सकता।
शानन और बस्सी दोनों परियोजनाओं के संचालन में रुकावट से प्रतिदिन पंजाब और हिमाचल प्रदेश सरकारों को करीब पौने दो करोड़ रुपए की राजस्व हानि प्रतिदिन हो रही है। यह स्थिति स्थानीय लोगों के साथ-साथ बिजली की आपूर्ति व्यवस्था पर भी प्रभाव डाल सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां इन परियोजनाओं से बिजली पहुंचती है।