मक्की की फसल पर स्प्रे के नाम पर छिड़का जा रहा जहर, पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2018 04:15 PM

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फसलों पर कितनी मात्रा में कीटनाशकों की स्प्रे की जाए, इसको लेकर कोई मापदंड तय नहीं हैं। सब्जियों पर तो अंधाधुंध स्प्रे का प्रयोग हो ही रहा है लेकिन अब मक्की की फसल पर भी की जा रही अत्यधिक स्प्रे ने चिंता बढ़ा दी है।

ऊना (सुरेन्द्र): फसलों पर कितनी मात्रा में कीटनाशकों की स्प्रे की जाए, इसको लेकर कोई मापदंड तय नहीं हैं। सब्जियों पर तो अंधाधुंध स्प्रे का प्रयोग हो ही रहा है लेकिन अब मक्की की फसल पर भी की जा रही अत्यधिक स्प्रे ने चिंता बढ़ा दी है। पहले मक्की की फसल की निराई और गुढ़ाई मैनुअल तरीके से होती थी। कोई भी कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग मक्की पर नहीं होता था लेकिन बदलते समय के साथ अब मक्की भी जहर से अछूती नहीं रही है। मक्की की फसल के दौरान जिस तरीके से लोग पहले मेहनत करते थे, उसकी जगह अब कीटनाशकों ने ले ली है। यानी पहले मक्की के खेतों से घास हटाने से लेकर प्रत्येक पौधे के पालन-पोषण के लिए खुद किसान मेहनत करते थे। अब न तो किसान खुद काम कर रहे हैं और न ही मजदूरी के लिए लोग मिल पा रहे हैं, ऐसे में घास को नष्ट करने के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है।

घास खत्म करने के नाम पर छिड़का जा रहा जहर
ये कीटनाशक कितनी मात्रा में डाले जाएं, इसको लेकर भी कोई गाइडलाइन नहीं है। मक्की की बुआई से लेकर उसके पौधे बड़े होने तक किसान जमकर फसलों पर स्प्रे कर रहे हैं। घास खत्म करने के नाम पर मक्की पर जहर छिड़का जा रहा है। न तो किसानों को बताया जा रहा है कि इसके दुष्परिणाम क्या हैं, कितनी मात्रा में इनका प्रयोग हो तथा इसकी सावधानियां क्या हैं, इस सारे मामले पर कोई एजैंसी राय नहीं दे रही है।

स्प्रे से होती है शरीर में एलर्जी
कीटनाशक कितने अधिक घातक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भी मक्की के खेतों में यह स्प्रे होती है तो उसके कुछ दिन बाद तक भी खेतों में जाना वर्जित कर दिया जाता है। इसका कारण यह है कि स्प्रे की वजह से कई दिक्कतें आ रही हैं। कुछ किसानों ने माना कि स्प्रे के बाद खेतों में जाने से शरीर के कई अंगों में एलर्जी और जख्म बन जाते हैं। कई किसान इस समस्या से प्रभावित भी हो रहे हैं।

मक्की के दानों पर नहीं होता स्प्रे का असर
कृषि विज्ञान केंद्र के डा. बी.एन. सिन्हा मानते हैं कि कीटनाशक कहीं न कहीं अपना दुष्प्रभाव छोड़ते हैं। हालांकि उनका कहना है कि मक्की की फसल के दौरान कीटनाशकों का प्रयोग घास को खत्म करने के लिए किया जा रहा है क्योंकि मजदूर न मिलने की वजह से घास की छंटाई करना संभव नहीं हो पा रही है। हालांकि मक्की के दानों पर तो इस स्प्रे का असर नहीं होता लेकिन इसका पर्यावरण पर निश्चित रूप से असर पड़ता है।

कीटनाशक दवाइयों के विक्रेताओं को दी जा रही ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि अब सभी कीटनाशक दवाइयों के विक्रेताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है तथा कीटनाशकों के उपयोग बारे उन्हें बताया जा रहा है ताकि वे किसानों को भी जागरूक कर सकें। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए भी जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। अभी तक कोई ऐसी लैब नहीं है जिसमें इस बात का पता लगाया जा सके कि किस सब्जी एवं खाद्य पदार्थ में कीटनाशकों का क्या प्रभाव है।

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