Edited By Jyoti M, Updated: 21 Jan, 2025 10:03 AM
नाहन की इंद्रा, जिन्होंने छह बार नेशनल स्तर पर बास्केटबॉल खेला, आज रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष कर रही हैं। खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाली इंद्रा को इस खेल से कुछ खास नहीं मिला। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए पति के साथ मोमोज और...
हिमाचल डेस्क। नाहन की इंद्रा, जिन्होंने छह बार नेशनल स्तर पर बास्केटबॉल खेला, आज रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष कर रही हैं। खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाली इंद्रा को इस खेल से कुछ खास नहीं मिला। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए पति के साथ मोमोज और चाउमिन की दुकान चला रही हैं।
इंद्रा ने सिर्फ 11 साल की उम्र में पहला नेशनल मुकाबला खेला। उन्होंने महाराष्ट्र में अंडर-14 प्रतियोगिता में हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद राजस्थान, नागपुर और तमिलनाडु में अंडर-17 वर्ग के मुकाबलों में हिस्सा लिया। सीनियर नेशनल स्तर पर भी भोपाल, केरल और छत्तीसगढ़ में अपनी प्रतिभा दिखाई। इसके अलावा, उन्होंने दस बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उन्हें उम्मीद थी कि नेशनल खेलने के बाद सरकारी नौकरी मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
खेल के दौरान ही इंद्रा की शादी हो गई। आज वह तीन बच्चों की मां हैं। जब सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर फास्ट फूड की दुकान खोल ली। इंद्रा बताती हैं कि इस महंगाई के दौर में परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, "बचपन से बास्केटबॉल खेलने का शौक था। छह बार नेशनल खेली, लेकिन कोई नौकरी नहीं मिली। अब फास्ट फूड की दुकान से परिवार चलाने की कोशिश कर रही हूं। अगर कोई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाती, तो जीवन आसान हो जाता।"
इंद्रा चाहती हैं कि सरकार खिलाड़ियों के प्रति गंभीरता दिखाए। उन्होंने कहा कि नेशनल स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को नौकरी और अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए, ताकि उनका जीवन संघर्षमय न हो। इंद्रा जैसी खिलाड़ी, जिन्होंने राज्य और देश का नाम रोशन किया, आज एक साधारण जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।