Edited By Kuldeep, Updated: 01 Sep, 2025 04:43 PM

दिग्गज भाजपा नेता शांता कुमार ने आपदा से घिरे प्रदेश में संकट काल के दौरान एक कल्याण बोर्ड के गठन के लिए जहां प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है तो इस पर चुप्पी साधने के लिए विपक्षी दल भाजपा को भी कटघरे में खड़ा करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
पालमपुर (भृगु): दिग्गज भाजपा नेता शांता कुमार ने आपदा से घिरे प्रदेश में संकट काल के दौरान एक कल्याण बोर्ड के गठन के लिए जहां प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है तो इस पर चुप्पी साधने के लिए विपक्षी दल भाजपा को भी कटघरे में खड़ा करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। शांता कुमार ने कहा है कि कुछ दिन पहले हिमाचल की सरकार ने ब्राह्मण कल्याण बोर्ड की स्थापना की। उसमें 126 सदस्य तथा 14 सरकारी सदस्य मिलाकर कुल 140 सदस्य रखे। उन्होंने कहा कि गहराई से सब सोच कर भी उन्होंने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया, हैरानी हुई कि पूरे हिमाचल के इतने अधिक राजनैतिक दलों केे हजारों कार्यकर्त्ताओं ने मेरे सिवाए किसी ने भी इसका विरोध नही किया।
बकौल शांता कुमार जरा गहराई से सोचिए, आज हिमाचल की परिस्थिति क्या है। चारों तरफ मातम छाया है। सैंकड़ों लोग मर चुके हैं, हजारों जख्मी हैं बहुत से लोगों के प्रियजन मलबे में दबे पड़े हैं। घर-बार परिवार बर्बाद होने के बाद पूरे प्रदेश में मातम का अभूतपूर्व सन्नाटा छाया हुआ है। पीड़ितों को फिर से बसाने के लिए सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं, प्रभावितों को दी जा रही मदद ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उन्होंने कहा कि ऐसी भयंकर परिस्थिति में हिमाचल सरकार द्वारा ब्राह्मण कल्याण बोर्ड, वह भी 140 सदस्यों का बनाया गया। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे किसी परिवार में दो सदस्य मर गए हों और परिवार का मुखिया तीसरे सदस्य का जन्मदिन धूम से मना रहा है।
इस स्पष्टवादिता के लिए क्षमा चाहूंगा
शांता कुमार ने कहा कि मुझे हैरानी ही नहीं भयंकर परेशानी भी है कि किसी भी राजनैतिक दल ने इसका विरोध नहीं किया। विधानसभा में जिक्र तक करने से भी बचते रहे। मैं इतनी दिन बड़ी गहराई से राजनैतिक दलों के इस मौन पर विचार करता रहा। एक ही कारण लगा- विपक्षी दलों ने विरोध करने की बात जरूर सोची होगी फिर उन्हें लगा होगा कि विरोध करने से 126 ब्राह्मण मतदाता नाराज हो जाएंगे, इसके अलावा चुप रहने का और कोई कारण नहीं लगा। उन्होंने कहा क्या राजनीति केवल और केवल वोट के लिए है। भयंकर फिजूल खर्ची करने के इस काम पर विपक्ष की आलोचना न करना भारतीय राजनीति का एक काला अध्याय है और हमेशा के लिए रहेगा। सभी राजनैतिक मित्रों से इस स्पष्टवादिता के लिए क्षमा चाहूंगा।