Edited By Kuldeep, Updated: 21 May, 2025 10:32 PM

प्रदेश सरकार के अधिकारियों तथा कर्मचारी की लापरवाही से इलाके के मासूम तथा गरीब बच्चों की जिंदगियां लील हो रही हैं। इलाके की ग्राम पंचायत की एक विधवा महिला, जोकि मिड-डे मील कर्मी के रूप में कार्यरत है।
पाहड़ा (कुलदीप): प्रदेश सरकार के अधिकारियों तथा कर्मचारी की लापरवाही से इलाके के मासूम तथा गरीब बच्चों की जिंदगियां लील हो रही हैं। इलाके की ग्राम पंचायत की एक विधवा महिला, जोकि मिड-डे मील कर्मी के रूप में कार्यरत है। उसके अनुसार प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी रिजल्ट में उसकी लड़की, जोकि सीनियर सैकेंडरी स्कूल पाहड़ा की छात्रा थी, फेल बताई गई थी परंतु इंगलिश का पेपर दोबारा चैक करने के बाद अब शिक्षा बोर्ड द्वारा उत्तीर्ण बताई जा रही है। वहीं उसने फेल होने के गम में ही घर में रखी कोई जहरीली दवाई निगल ली थी। इसके बाद उसे पालमपुर सरकारी अस्पताल ले जाया गया परंतु 2 दिन के बाद वहां से उसे रैफर कर दिया गया।
उसके उपरांत उसकी माता उसे सिविल अस्पताल हमीरपुर ले गई, क्योंकि वहां अस्पताल में उनके रिश्तेदार कार्यरत थे, परंतु वहां पर एंडोस्कोपी का टैस्ट न होने के कारण उसे टांडा अस्पताल लाया गया। इस समय वह टांडा अस्पताल में दाखिल है तथा टैस्ट की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। लड़की की माता के अनुसार अगर लड़की को शिक्षा बोर्ड द्वारा पास भी कर दिया गया है, तब भी इसका अब कोई मतलब नहीं रह गया है, क्योंकि मेरी लड़की अब ठीक होने वाली नहीं है। लड़की की माता ने कहा कि वह 4000 रुपए में अपना परिवार पाल रही है और उसकी 3 लड़कियां हैं, जिनमें से 2 का पालन-पोषण रिश्तेदार ही करते हैं तथा उसके पति 18 साल पहले ही गुजर गए हैं।