Edited By Vijay, Updated: 24 Apr, 2025 10:36 PM

प्रदेश सरकार स्कूलों को बंद कर शराब के ठेके खोल रही है। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण दे दिया है। यह बात शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कही।
शिमला (हैडली): प्रदेश सरकार स्कूलों को बंद कर शराब के ठेके खोल रही है। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण दे दिया है। यह बात शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार में प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का नया मॉडल चल रहा है। सरकार हर साल हजारों की संख्या में स्कूल और कॉलेज बंद कर रही है और स्कूलों समेत अन्य प्रमुख स्थलों के साथ सैंकड़ों की संख्या में शराब के ठेके खोल रही है। प्रदेश भर में स्कूलों के पास शराब के ठेके खोलने का लोगों द्वारा विरोध हो रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा धरना दिया जा रहा है, बच्चों के भविष्य की गुहार लगाई जा रही है, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। कुछ जगह थकहार कर लोगों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। सरकार को इस तरह के निर्णयों से बाज आना चाहिए और शराब के ठेकों की बजाय स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के हितों के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वही सरकार है जिसने पिछले साल बिलासपुर में आंगनबाड़ी के पास शराब का ठेका न खोलने को लेकर जब स्थानीय महिलाओं ने विरोध किया तो संबंधित अधिकारी ने कहा कि आप आंगनबाड़ी का केंद्र ही कहीं और ले जाओ। क्या मुख्यमंत्री के आत्मनिर्भर हिमाचल का यही रोडमैप है क्योंकि इसके अलावा सरकार कहीं और प्रयत्न करती नहीं दिख रही है।
सरकार कर रही नगर निगम को ठेके खोलने पर मजबूर
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अब ठेके चलाने के लिए नगर निगम को बाध्य कर रही है। संसाधनों की कमी का सामना कर रहे नगर निगम के सामने अपनी तमाम समस्याएं हैं लेकिन सरकार उन्हें बार-बार नीलामी के बाद भी न बिकने वाले ठेके चलाने का दबाव बना रही है। आखिर शराब बेचना सरकार की प्राथमिकता क्यों है। नगर निगम के लोगों को सरकार उनके काम की बजाय अन्य कामों में लगाना चाहती है। सरकार चाहती है कि आम आदमी से जुड़े काम को छोड़कर निगम के कर्मचारी शराब बेचें क्योंकि मुख्यमंत्री को आबकारी के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने हैं।
आबकारी के राजस्व के अर्जन में नहीं हुई अपेक्षित वृद्धि
जयराम ने कहा कि सुक्खू सरकार की नीतियों की वजह से आबकारी के राजस्व के अर्जन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार आबकारी से राजस्व अर्जित करने के लिए 4 हजार करोड़ लक्ष्य रखती 2800 करोड़ का नहीं। सच्चाई यह है कि सुक्खू सरकार हर साल आबकारी राजस्व की वृद्धि में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है जबकि पूर्व की भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में आबकारी के राजस्व में 22 फीसदी की बढ़ौतरी हुई थी।
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