Himachal News: उच्च शिक्षा निदेशालय का आदेश, अब सभी स्कूलों और कॉलेजों में स्टाफ नहीं बना सकेगा वीडियो-रील्स, नहीं तो होगी कार्रवाई

Edited By Jyoti M, Updated: 05 Jan, 2025 12:25 PM

now staff in all schools and colleges will not be able to make video reels

हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों और कॉलेजों के प्रिंसिपलों को निर्देश जारी किए हैं कि शिक्षण संस्थानों में गैर-शैक्षणिक वीडियो और रील्स बनाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। इसके साथ ही, सोशल मीडिया का अनावश्यक उपयोग भी प्रतिबंधित किया...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों और कॉलेजों के प्रिंसिपलों को निर्देश जारी किए हैं कि शिक्षण संस्थानों में गैर-शैक्षणिक वीडियो और रील्स बनाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। इसके साथ ही, सोशल मीडिया का अनावश्यक उपयोग भी प्रतिबंधित किया गया है। यह कदम विद्यार्थियों पर हो रहे नकारात्मक प्रभाव को रोकने और शैक्षणिक गतिविधियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

क्या है फैसला?

उच्च शिक्षा निदेशक, डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा के अनुसार, यह फैसला शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने और ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए लिया गया है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा गैर-शैक्षणिक वीडियो और रील्स बनाना, जो छात्रों के शैक्षिक विकास में योगदान नहीं देते, शैक्षणिक लक्ष्यों से ध्यान हटाने का कारण बन सकता है। इसके परिणामस्वरूप, विद्यार्थियों का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।

निर्देशों का पालन न करने पर होगी कार्रवाई

निदेशालय ने चेतावनी दी है कि अगर स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षक या अन्य कर्मचारी इन निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों-कॉलेजों के प्रिंसिपलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि संस्थान में एक सकारात्मक और शैक्षिक माहौल हो, जिससे विद्यार्थियों का समग्र विकास हो सके।

उद्देश्य क्या है?

ध्यान भटकाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण: सोशल मीडिया पर शैक्षिक, खेल या पाठ्यक्रम से संबंधित सामग्री के बजाय गैर-शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देने से विद्यार्थियों का ध्यान भटकता है, जो उनकी शिक्षा और मानसिक स्थिति के लिए हानिकारक हो सकता है।

बेहतर माहौल की आवश्यकता: स्कूलों और कॉलेजों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वे विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में योगदान दें। साथ ही, विद्यार्थियों के शैक्षिक लक्ष्यों को प्राथमिकता दी जाए।

भविष्य की दिशा

यह कदम सोशल मीडिया के प्रभाव को संतुलित करने और विद्यार्थियों को स्वस्थ और प्रेरणादायक माहौल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उम्मीद की जा रही है कि इससे शैक्षिक संस्थानों में एक सकारात्मक बदलाव आएगा और विद्यार्थियों का ध्यान केवल शैक्षणिक गतिविधियों पर केंद्रित रहेगा।
 

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