Edited By Jyoti M, Updated: 02 Aug, 2025 05:51 PM

लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता एवं जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य सचिव दीपक कपिल ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का तुरंत उपचार सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के...
हमीरपुर। लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता एवं जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य सचिव दीपक कपिल ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का तुरंत उपचार सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से एक विशेष व्यवस्था की है। हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी इस योजना को लागू कर रहा है।
उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का अब आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध सभी अस्पतालों और अन्य सूचीबद्ध अस्पतालों में डेढ लाख रुपये तक का मुफ्त एवं कैशलैस इलाज हो सकता है। सड़क दुर्घटना के बाद 24 घंटे के भीतर अस्पताल में दाखिल होने पर यह सुविधा मिलेगी और घायल व्यक्ति का अधिकतम सात दिन तक कैशलैस इलाज किया जा सकता है।
दीपक कपिल ने बताया कि घायलों की तुरंत मदद के लिए अब पुलिस, एंबुलेंस और अन्य सेवाओं के हेल्पलाइन नंबरों को भी इस योजना के साथ लिंक किया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति 112 नंबर डायल करके सड़क दुर्घटना की सूचना दे सकता है। हेल्पलाइन नंबर 112 का ऑपरेटर कॉलर की डिमांड के अनुसार अन्य हेल्पलाइन नंबरों जैसे-108, 102 और 1033 इत्यादि को भी लिंक कर सकता है, ताकि घायल व्यक्ति को तुरंत निकटवर्ती सूचीबद्ध अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।
अधिशाषी अभियंता ने बताया कि सूचीबद्ध अस्पताल को घायल व्यक्ति का डेढ़ लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त एवं कैशलैस करना होगा। कोई भी सूचीबद्ध अस्पताल घायल को दाखिल करने से मना नहीं कर सकता है। डेढ़ लाख रुपये तक के इलाज के बाद घायल व्यक्ति को अस्पताल से डिस्चार्ज माना जाएगा और उसे शेष इलाज का खर्चा अन्य माध्यमों से जुटाना होगा। इलाज के बाद सूचीबद्ध अस्पताल को संबंधित प्रदेश की स्वास्थ्य एजेंसी से क्लेम के लिए आवेदन करना होगा। योजना से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर 14555 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
दीपक कपिल ने कहा कि सड़क दुर्घटना के बाद अगर घायलों की तुरंत मदद की जाए तो कई लोगों की बहुमूल्य जानें बच सकती हैं। ऐसी दुर्घटनाओं के बाद ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान यानि एक घंटे के भीतर घायलों को प्राथमिक उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है। इसलिए, किसी भी सड़क दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी को घायलों की मदद के लिए तुरंत आगे आना चाहिए।