Edited By Jyoti M, Updated: 01 Feb, 2025 10:58 AM
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले 5.50 लाख विद्यार्थियों को मिड-डे मील के तहत सप्ताह में दो दिन पौष्टिक आहार देने की योजना बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री पौष्टिक आहार योजना के तहत अभी सप्ताह में एक दिन केला और अंडा दिया जाता है...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले 5.50 लाख विद्यार्थियों को मिड-डे मील के तहत सप्ताह में दो दिन पौष्टिक आहार देने की योजना बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री पौष्टिक आहार योजना के तहत अभी सप्ताह में एक दिन केला और अंडा दिया जाता है, लेकिन जल्द ही इस योजना का विस्तार कर इसे सप्ताह में दो दिन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि बजट में इसके लिए प्रावधान किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को सप्ताह के छह दिन अलग-अलग प्रकार का भोजन दिया जाता है, जिसके लिए विशेष मेन्यू तैयार किया गया है। पहले सप्ताह के सोमवार को साबुत मूंग दाल और चावल, मंगलवार को सब्जी के साथ सोया पुलाव, बुधवार को राजमा चावल, गुरुवार को चना दाल और सब्जी के साथ खिचड़ी, शुक्रवार को उड़द दाल और चावल, शनिवार को काले चने और चावल परोसे जाते हैं।
वहीं, दूसरे सप्ताह के सोमवार को मिक्स दाल और चावल, मंगलवार को काले चने और दाल, बुधवार को मूंग दाल और सब्जी व चावल, गुरुवार को सब्जी व सोया पुलाव, शुक्रवार को राजमा और चावल या कढ़ी तैयार की जाती है। पिछले वर्ष हिमाचल सरकार ने सभी बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया करवाने के लिए सप्ताह में एक दिन अंडा या केला (कोई अन्य फल) देने की योजना शुरू की थी, जिसे अब बढ़ाकर सप्ताह में दो दिन करने की तैयारी है। संभावित है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू अपने बजट भाषण में इसकी घोषणा करेंगे।
इसके अलावा, प्रदेश में नए शैक्षणिक सत्र से मिड-डे मील में मोटे अनाज (मिलेट्स) भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी कोदा, बाजरा, बाथू, कुट्टू और चौलाई जैसे अनाजों का स्वाद चखने के साथ-साथ इनके पोषण और महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
केंद्र सरकार ने इस दिशा में राज्यों को प्रस्ताव भेजा है, और कृषि विभाग ने इसे लेकर शिक्षा विभाग को पहले ही प्रस्ताव सौंप दिया है। हालांकि, मोटे अनाज को मिड-डे मील में शामिल करने के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी, जिसके लिए वर्तमान में मंथन किया जा रहा है।
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