Edited By Vijay, Updated: 31 Dec, 2024 10:56 AM
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी अधिकारी पर लगे करोड़ों रुपए की कथित रिश्वत की डिमांड के आरोपों की सीबीआई द्वारा की जा रही जांच के बीच कुछ शिकायतकर्त्ताओं के सामने आने से नया मोड़ सामने आ गया है।
शिमला (राक्टा): मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी अधिकारी पर लगे करोड़ों रुपए की कथित रिश्वत की डिमांड के आरोपों की सीबीआई द्वारा की जा रही जांच के बीच कुछ शिकायतकर्त्ताओं के सामने आने से नया मोड़ सामने आ गया है। इसके तहत छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपों से घिरे कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने शिमला ईडी कार्यालय में तैनात रहे एक अधिकारी सहित 2 अन्यों पर 25 करोड़ की कथित रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगाए हैं। चेयरमैन हिमालय ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन भूपिंद्र शर्मा, चेयरमैन देव भूमि हिमालय ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन रजनीश बंसल, चेयरमैन आईसीएल ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन संजीव प्रभाकर चेयरमैन विद्या ज्योति ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन डीजे सिंह सहित अन्यों ने सोमवार को शिमला में आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में जबरन वसूली के लिए संबंधित अधिकारियों पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया।
रजनीश बंसल ने कहा कि ईडी के सहायक निदेशक ने उनसे 25 करोड़ की रिश्वत मांगी थी। पैसा देने की एवज में ही वे उन्हें गिरफ्तार नहीं करेंगे। आरोप लगाया कि रिश्वत देने के लिए दबाव बनाने को लेकर निजी शिक्षण संस्थानों के मालिकों को ईडी कार्यालय बुलाया जाता था और 8-8 घंटे बाहर बिठाकर मानसिक तौर से प्रताड़ित किया जाता था। इस दौरान 3 के नामों का भी खुलासा किया गया। संचालकों का कहना था कि बीते नवम्बर माह से सम्मन व नोटिस भेजे जाने लगे और ईडी कार्यालय तलब कर मानसिक तौर से परेशान किया जाने लगा। भूपिंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि जब अधिकारियों ने सारी हदें लांघ दीं तो चंडीगढ़ सीबीआई कार्यालय में शिकायत की गई। इसी कड़ी में बीते दिनों शिमला के ईडी कार्यालय सहित अन्य स्थानों पर दबिश दी गई, साथ ही जाल बिछाकर एक अधिकारी के भाई को 55 लाख की रिश्वत के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया। निजी संस्थानों के उक्त संचालकों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
प्रदेश में करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति हड़पने के आरोप कुछ निजी विश्वविद्यालयों पर लगे। ऐसे में तत्कालीन सरकार ने मामले की छानबीन सीबीआई को सौंपी और करीब 29 निजी संस्थान जांच की जद्द में आए। इसके तहत कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं और अलग-अलग संस्थानों के खिलाफ छानबीन को पूरी करते हुए सीबीआई ने अदालत में आरोप पत्र भी दायरे किए। इसी बीच मनी लॉन्ड्रिग से जुड़े तथ्यों को खंगालने के लिए ईडी ने भी जांच शुरू की लेकिन अब जांच एजैंसी के ही अधिकारी रिश्वत के कथित आरोप को लेकर सीबीआई जांच के दायरे में आ गए हैं।
न्यायालय में मामला विचाराधीन
स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में निजी संस्थानों के संचालकों ने कहा कि जिसे 250 करोड़ का घोटाला कहा गया, वह कोई घोटाला नहीं है। इसमें केवल अनियमितता हुई है क्योंकि जब छात्रवृत्ति शुरू हुई थी तो नियमों का पता नहीं था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जब फैसला आएगा तो सभी के समक्ष होगा।
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