Edited By Vijay, Updated: 17 Jul, 2025 03:52 PM

किन्नौर की वादियों में वीरता और बलिदान की गूंज उस समय सुनाई दी, जब गांव थैमगारंग ने अपने सपूत 29 वर्षीय पुष्पेंद्र नेगी को अंतिम विदाई दी।
शिमला: किन्नौर की वादियों में वीरता और बलिदान की गूंज उस समय सुनाई दी, जब गांव थैमगारंग ने अपने सपूत 29 वर्षीय पुष्पेंद्र नेगी को अंतिम विदाई दी। गुरुवार को सैन्य सम्मान के साथ शहीद पुष्पेंद्र नेगी का अंतिम संस्कार हुआ और उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। आंखों में आंसू और दिल में गर्व लिए गांववाले, रिश्तेदार और सेना के जवान इस विदाई में शामिल हुए। इस दाैरान पूरा गांव शहीद पुष्पेंद्र नेगी अमर रहें के नारों से गूंजता रहा। सबसे भावुक क्षण तब आया, जब पुष्पेंद्र के 6 साल के बेटे एतिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। मासूम हाथों से दी गई यह अग्नि पूरे गांव को झकझोर गई। इससे पहले पत्नी कीर्ति नेगी का दर्द उस समय छलक उठा जब वह ताबूत से लिपट कर रो पड़ीं। उन्होंने सैल्यूट करते हुए अपने पति को विदाई दी और कहा कि अब जीवनभर केवल आपके नाम से जिऊंगी, अपने साथ किसी और का नाम नहीं जोड़ूंगी।
ड्यूटी के दौरान हुआ था हादसा
बता दें कि 15 जुलाई काे असम में ड्यूटी के दौरान जब पुष्पेंद्र तूफान के बीच तैनात थे, तभी एक भारी पेड़ की टहनी उनके ऊपर गिर गई। गंभीर चोट लगने के बाद उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली। हादसा इतना अचानक हुआ कि घरवालों को यकीन कर पाना मुश्किल हो गया।
वापसी का वायदा रह गया अधूरा
पुष्पेंद्र नेगी कुछ हफ्ते पहले 17 जून को छुट्टी पर घर आए थे। परिवार के साथ कुछ वक्त बिताने के बाद 4 जुलाई को फिर से ड्यूटी पर लौट गए। जाते वक्त उन्होंने पत्नी से वायदा किया था कि 2 महीने बाद फिर घर आऊंगा, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
मौसम बना रुकावट, पार्थिव शरीर पहुंचने में हुई देर
शहीद पुष्पेंद्र का पार्थिव शरीर 16 जुलाई को किन्नौर लाया जाना था, लेकिन असम में लगातार खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर उड़ान भर नहीं सका। इसके बाद असम से उनका शव पहले दिल्ली और फिर चंडीगढ़ पहुंचाया गया। चंडीगढ़ से सेना के जवानों ने सड़क मार्ग से शव को गांव लाया। गुरुवार सुबह करीब 10 बजे जब पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो हर आंख नम थी।

2013 में हुए थे सेना में भर्ती
पुष्पेंद्र नेगी 2013 में 19 डोगरा रैजीमैंट में भर्ती हुए थे। 11 साल की सेवा के दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण मिशन पूरे किए। अपने पीछे वह पत्नी कीर्ति नेगी, 6 वर्षीय बेटे एतिक, पिता महेंद्र नेगी और मां सरला देवी को छोड़ गए। मासूम एतिक बार-बार पूछ रहा है कि पापा कब आएंगे? लेकिन परिवार के पास अब सिर्फ यादें हैं।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने जताया दुख
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पुष्पेंद्र नेगी की शहादत पर गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को अपने इस बहादुर सपूत पर हमेशा गर्व रहेगा। उनका बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा। प्रदेश उन्हें सदा श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ याद करेगा।