Mandi: सैंज में बादल फटने से बहकर आई लकड़ी को निकालने की बजाय पानी में बहा दिया

Edited By Kuldeep, Updated: 30 Jun, 2025 09:49 PM

mandi sainj wood

कुल्लू जिला के सैंज घाटी में बादल फटने की घटना के बाद पानी में बहकर आई लकड़ी को पंडोह डैम से निकालने की बजाय उसे पानी में बहा दिया गया।

मंडी (रजनीश हिमालयन): कुल्लू जिला के सैंज घाटी में बादल फटने की घटना के बाद पानी में बहकर आई लकड़ी को पंडोह डैम से निकालने की बजाय उसे पानी में बहा दिया गया। वन विभाग इस लकड़ी को डैम से निकलवाने के लिए आगे नहीं आया। पंडोह डैम में एकाएक इतनी अधिक मात्रा में लकड़ी आने से बीबीएमबी प्रबंधन भी सकते में आ गया और पंडोह डैम की सुरक्षा की दृष्टि के मद्देनजर खोले गए डैम के गेट के रास्ते डैम में एकत्रित लड़की ब्यास नदी में बह गई।

हालांकि वन विभाग का दावा है कि ये जितनी भी लकड़ी पानी में बहकर आई है वह केवल वेस्ट लकड़ी थी। इस लकड़ी में अवैध कटान के कोई भी साक्ष्य नहीं मिले, की बात वन विभाग के उच्च अधिकारी कर रहे हैं। उधर, शिमला जिला से कांग्रेस के विधायक कुलदीप राठौर ने ही इस लकड़ी को लेकर जांच की बात कही थी। अब भाजपा भी इस मामले की जांच की मांग कर रही है।

बीबीएमबी अधिकारी नहीं बोल रहे खुलकर
पंडोह डैम में बह कर आई लकड़ी को पानी में बहा देने को लेकर बीबीएमबी के अधिकारियों से बात की तो इस पर खुलकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया जबकि इस संबंध में गेंद अपनी उच्च अधिकारियों पर फैंक दी गई और इस बारे में बीबीएमबी के चीफ और चेयरमैन ही बताने की बात करके अपना पल्ला झाड़ लिया।

अध्यक्ष देवभूमि पर्यावरण संरक्षक मंच मंडी नरेंद्र सैनी का कहना है कि पंडोह डैम में एकत्रित लकड़ी को देखकर लगता है कि अवैध कटान हुआ है। इतनी अधिक मात्रा में जंगलों से लकड़ी का पानी में बहकर आना अपने आप में एक सवाल खड़ा कर रहा है। जब वनों में कटान होता है तो वेस्ट लकड़ी वहीं पर छोड़ दी जाती है। 2023 में भी पंडोह डैम में लकड़ी बहकर आई वो गायब हो गई थी। उसका आज दिन तक कोई अता-पता नहीं है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

वन अरण्यपाल कुल्लू संदीप शर्मा का कहना है कि बीते 2022 में 328 क्यूबिक मीटर वेस्ट लकड़ी जगंलों में थी, जो बाढ़ में बहकर आ गई। यह वेस्ट लकड़ी जलवायु परिवर्तन के लिए मददगार साबित होती है। इस बारे में कई रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं। इस बाढ़ से कितना नुक्सान हुआ है। इसका आकलन करने के लिए वनमंडलाधिकारियों के नेतृत्व में 3 टीमें बनाई गई हैं। बंजार डीएफओ और ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क डीएफओ की रिपोर्ट कार्यालय में पहुंच गई है। पार्वती डीएफओ की रिपोर्ट आना अभी शेष है।

भाजपा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक सुंदरनगर राकेश जम्वाल का कहना है कि वर्तमान सरकार वैसे भी अवैध कटान पर जोर है। इसका खुलासा सैंज में बादल फटने की घटना के बाद पानी में बहकर आई लकड़ी से हुआ है। अंदर-अंदर अवैध कटान चला हुआ था। इस फ्लड के कारण इसका खुलासा हुआ है। इसकी जांच होनी चाहिए।

उपाध्यक्ष हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम केसर सिंह खाची का कहना है कि 25 जून को कुल्लू जिला के सैंज में बादल फटने की वजह जो लकड़ी नाले में बहकर आई थी वो वनभूमि पर पड़ी वेस्ट लकड़ी है। जिसे वहां से नहीं हटाया जाता है और वहीं लकड़ी 25 जून की बह कर आई है। पहले तो मुझे भी यही लगा कि यह लकड़ी अवैध कटान के रूप में बहकर आई होगी लेकिन मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लेने पर पता चला कि यह वर्षों से जंगलों में पड़ी बेकार लकड़ी पानी साथ बहकर आई है।

कुल्लू जिला के पार्वती व सराज वन मंडल के अंर्तगत गड़सा घाटी में विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क और उसके साथ लगते सेंक्च्यूरी एरिया में मानवीय हस्तक्षेप न होने की वजह से वहां पर गिरने वाले पड़ों को उठाने की मनाही है। यह वेस्ट मैटीरियल 25 जून की बाढ़ में बहकर पंडोह डैम तक पहुंचा। जबकि बादल फटने की घटना से वन भूमि के साथ-साथ बड़े-बड़े पेड़ टूटकर नाले में 27 किलोमीटर के एरिया में बिखरे पड़े हैं।

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