Mandi: प्राकृतिक खेती ने बदली किसान विनय की किस्मत, सभी के लिए बने प्रेरणा स्त्रोत

Edited By Jyoti M, Updated: 22 Sep, 2024 12:47 PM

mandi natural farming changed the fortune of farmer vinay

कृषि व बागवानी क्षेत्र में गहन रुचि रखने वाले करसोग विकासखंड के युवा किसान विनय कुमार क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं। सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती कार्यक्रम से प्रभावित विनय कुमार ने अपने जीवन में प्राकृतिक खेती को करियर के रूप में...

मंडी (रजनीश) : कृषि व बागवानी क्षेत्र में गहन रुचि रखने वाले करसोग विकासखंड के युवा किसान विनय कुमार क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं। सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती कार्यक्रम से प्रभावित विनय कुमार ने अपने जीवन में प्राकृतिक खेती को करियर के रूप में अपना कर अपनी आर्थिक को सुदृढ़ किया है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से विनय कुमार विभिन्न प्रकार की नगदीं फसलें उगा कर सालाना 80 से 85 हजार रुपए की आय अर्जित कर रहे है। 

करसोग की ग्राम पंचायत काओ के रहने वाले विनय कुमार ने बताया की आत्मा परियोजना के अंतर्गत जून, 2019 में उनके गांव में फाॅर्म फील्ड स्कूल लगाया गया था, जिसमें उन्हें भी भाग लेने का मौका मिला। वहां से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसकेे पश्चात अपने खेतों में डेमो के तौर पर  मक्की, बीन, मूंगफली, अदरक की फसल लगाई। जिसमें पहले ही वर्ष में उन्हें बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त हुए। इससे प्रभावित होकर उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया।

उन्होंने बताया कि फरवरी, 2020 में आत्मा परियोजना के सौजन्य से उन्हें हिमाचल के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक फार्म गुरुकुल कुरुक्षेत्र में जाने का मौका मिला, जहां लगभग 180 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रहीं है। वहां से भी उन्हें प्राकृतिक खेती करने की प्रेरणा मिली। बर्तमान में विनय कुमार लगभग पांच बीघा जमीन पर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं जिसमें कि वह मक्का, बीन, लाल धान, कोदरा, गेहूं, नंगा जौ, मटर व मौसमी सब्जियां आदि उगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती करने से पूर्व उनका पांच बीघा में लगभग 15000 रुपए सालाना खाद, कीटनाशक तथा फंगीसाइड में खर्च होता था जबकि आय 65-70 हजार रुपए होती थी।

प्राकृतिक खेती अपनाने के पश्चात खेती के लिए आवशयक विभिन्न प्रकार की गोबर की खाद व अन्य सामग्री घर में खुद तैयार करते है जिससे अब उनका लागत खर्च लगभग 3000 रुपये सालाना रह गया है और आय बढ़कर 80-85 हजार रूपए हो गई है। उन्होंने अपने खेतों में पूर्णतः प्राकृतिक विधि द्वारा एक सेब का बगीचा भी लगाया है जिसमें की बहुत ही चमत्कारिक परिणाम, उन्हें प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक विधि में किसान एक साथ कई फसलें अपने खेतों में लगाता है जिससे उसे कुछ-कुछ समय बाद लगातार आय प्राप्त होती रहती है। 

विनय कुमार अपने खेतों में लाल धान, जामुनी गेहूं, कोदरा, नंगा जौ, काली हल्दी आदि पुराने किस्म के अनाज भी उगा रहे हैं। जिनकी अधिक मांग और अच्छे दाम मिलने से आय में सुधार हुआ है। जिससे परिवार की आर्थिकी सुदृढ़ हुई है। उन्होंने बताया कि घर में देसी गाय भी पाल रखी है, जिसके गोबर गोमूत्र से भी प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटक जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, द्रेकास्त्र, अग्नि अस्त्र, दशपर्नी अर्क, बीजामृत आदि अपने घर पर ही स्वयं तैयार करते हैं। उनका कहना है कि आत्मा परियोजना कर्मचारियों व अधिकारियों का भी समय समय पर उन्हें प्रोत्साहन मिलता रहता है। 

उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से, उन्हें विभिन्न कार्यो के लिए 19500 रुपये की अनुदान राशि भी मिली है। जिसमें संसाधन भंडार बनाने पर 10 हजार रुपये व गौशाला का फर्श पक्का करने के लिए 8 हजार रुपये तथा ड्रम खरीदने के लिए 1500 रुपये की अनुदान राशि प्राप्त हुई है। वर्तमान में वह करसोग नेचुरल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (एफपीओ) जहां किसान प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार उत्पाद को विक्रय कर सकता है, प्रमोटर के रूप में भी कार्य कर रहे हैं और करसोग की अन्य पंचायत में भी वे मास्टर ट्रेनर के रूप में अन्य किसानों को प्रशिक्षित कर रहे है। उन्होंने बताया कि जिला मंडी के अलावा, अन्य जिला के किसानों के समूह भी उनके खेतों में भ्रमण के लिए करसोग आते है।

आत्मा परियोजना करसोग के ब्लाॅक टेक्नोलाॅजी मैनेजर (बीटीएम) मोहित ने बताया कि विनय कुमार अपने खेतों में लाल धान, जामुनी गेहूं, कोदरा, नंगा जौ, काली हल्दी आदि पुराने किस्म के अनाज भी उगा रहे हैं। जिनकी अधिक मांग और अच्छे दाम मिलने से आय में सुधार हुआ है। जिससे इनके परिवार की आर्थिकी सुदृढ़ हुई है।

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