Edited By Vijay, Updated: 16 Nov, 2023 11:07 PM

हिमाचल पुलिस विभाग में जल्द व्यापक फेरबदल हो सकता है। इसके तहत कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं, साथ ही कुछ जिलों के एसपी भी बदले जा सकते हैं।
शिमला (राक्टा): हिमाचल पुलिस विभाग में जल्द व्यापक फेरबदल हो सकता है। इसके तहत कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं, साथ ही कुछ जिलों के एसपी भी बदले जा सकते हैं। सरकार ने केेंद्रीय प्रतिनियिुक्ति से हाल ही में वापस लौटे वर्ष 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी एसआर ओझा को भी अभी कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। उनकी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंच चुकी है और जल्द ही उन्हें अहम जिम्मा सौंपा जा सकता है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस संबंध में निर्णय लेना है।
वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे संजय कुंडू
देखा जाए तो प्रदेश पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू वर्ष 2024 में 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में अंदरखाते डीजीपी पद को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। ओझा व कुंडू एक ही बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वर्ष 1988 बैच के अधिकारी तपन कुमार इन दोनों अधिकारियों से वरिष्ठ हैं, हालांकि वह भी आगामी जून माह में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वह अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और आईबी में वरिष्ठ पद पर तैनात हैं। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर कुंडू के बाद डीजीपी के लिए एसआर ओझा का नाम आता है।
तो क्या छुट्टी पर भेजे जाएंगे संजय कुंडू?
एक कारोबारी के साथ विवाद में संजय कुंडू का नाम भी जुड़ा है। ऐसे में अब सभी की नजरें सरकार पर हैं कि वह क्या निर्णय लेती है। सूत्रों की मानें तो पूरे विवाद की छानबीन पूरी न होने तक सरकार उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है ताकि जांच प्रभावित न हो। गौरतलब है कि पूर्व में जब कुंडू छुट्टी पर गए थे तो एडीजी विजीलैंस सतवंत अटवाल को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।
डीजीपी के खिलाफ प्रसारित की जा रही अफवाहें
प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने आपराधिक रिट याचिका संख्या 14/2023 के संबंध में डीजीपी के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा अफवाहों के संबंध में बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की है। मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि डीजीपी अपनी निजी या आधिकारिक क्षमता में न तो एक पक्ष है और न ही प्रतिवादी है। हाईकोर्ट द्वारा उन्हें कभी भी तलब नहीं किया गया, न ही उनके लिए कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया गया। पूरा मामला उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
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