Edited By Vijay, Updated: 14 Nov, 2024 06:25 PM
प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को जीपीएफ से मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है जिससे कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
शिमला (हैडली): प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को जीपीएफ से मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है जिससे कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष को इस संबंध में शिकायतें मिल रही हैं। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों की बहुत सारी शिकायतें मिल रही हैं कि उनका जीपीएफ बिल पास नहीं हो रहा है। जीपीएफ पूर्णतया कर्मचारी का पैसा होता है जो वह भविष्य की आवश्यकताओं और जरूरतों के लिए अपना पेट काट कर बचाता है ताकि वह समय आने पर उसे निकाल सके।
यह पैसा कर्मचारी अपने बच्चों की पढ़ाई और शादी, घर बनाने, संपत्ति खरीदने के लिए जुटाकर रखता है। कर्मचारी जब आवश्यकता पड़ने पर अपना जीपीएफ निकालना चाह रहा है तो उसके खून-पसीने की कमाई का पैसा नहीं निकल रहा है। मुख्यमंत्री इस मामले में प्रदेश को जवाब दें कि ऐसी शिकायतें क्यों आ रही हैं। इस मामले की सत्यता क्या है।
प्रदेश सरकार ने पहले ही विधानसभा में यह बताया है कि कर्मचारियों के जीपीएफ के बदले वह 2810 करोड़ रुपए का ऋण ले चुकी है। जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान दी गई हिमाचल की झूठी गारंटियों से पूरा देश सबक ले रहा है। पूरे देश में हिमाचल प्रदेश के लोगों को सरकार द्वारा झूठी गारंटियां देकर ठगने की चर्चा है।
यह सरकार एक ऐसी सरकार है जिसने विधानसभा चुनाव के दौरान दी गई गारंटियों के पूर्णतया विपरीत काम किया। लाखों नौकरियां देने की घोषणा की तो लाखों अनुमोदित पदों को समाप्त कर दिया। 12 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया और अभी 1000 से ज्यादा पदों पर काम कर रहे लोगों को नौकरी से निकालने का जी-जान से प्रयास कर रही है जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है।
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