हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में 97% विशेषज्ञों की कमी

Edited By Jyoti M, Updated: 07 Oct, 2024 03:34 PM

lack of 97 specialists in rural health centers of himachal pradesh

यह उन्नयन बुज़ुर्गों की जटिल ज़रूरतों, ख़ास तौर पर पुरानी बीमारियों के लिए विशेष देखभाल को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, घटती प्रजनन दर और घटती जन्म दर ने जनसंख्या की उम्र बढ़ने में तेज़ी ला दी है, जिससे बुज़ुर्ग व्यक्तियों का...

हिमाचल डेस्क। बुजुर्गों की स्वास्थ्य संबंधी जटिल जरूरतें, खासकर पुरानी बीमारियों के लिए विशेष देखभाल, आज के समाज में एक बड़ा मुद्दा बन गई हैं। घटती प्रजनन दर और जन्म दर के कारण जनसंख्या तेजी से वृद्ध हो रही है, जिससे बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इन बुजुर्गों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना, विशेषकर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की भारी कमी के कारण, दोनों राज्यों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

स्वास्थ्य सेवा की स्थिति

"हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यूमन रिसोर्सेज)" नामक रिपोर्ट में इस स्थिति की गंभीरता को उजागर किया गया है। हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में केवल 13 विशेषज्ञ हैं, जबकि 392 की जरूरत है, यानी कि हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में 96.68% विशेषज्ञों की कमी है।

वहीं पंजाब में शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 336 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 119 विशेषज्ञ हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 55 विशेषज्ञ उपलब्ध हैं, जो आवश्यक संख्या से बहुत कम है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी स्थिति बेहतर नहीं है, जहां 236 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 161 चिकित्सा अधिकारी हैं।

इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलपमेंट के डॉ. इंद्रवीर गिल ने कहा कि बुजुर्ग आबादी बहुत असुरक्षित है और उन्हें सरकारी सहायता की जरूरत है। अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों के पास वित्तीय स्वतंत्रता नहीं है, इसलिए उनके इलाज के लिए होने वाले खर्चों को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना जरूरी है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना होगा

इस चुनौती से निपटने के लिए, डॉ. गिल ने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को डॉक्टरों की संख्या, बुनियादी ढांचे और उपकरणों को बढ़ाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना चाहिए। इसके साथ ही, स्वास्थ्य बीमा कवरेज का विस्तार करना और मुफ्त या सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना भी जरूरी है।

इन कदमों से सरकार बुजुर्गों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर सकती है, जिससे उनके वित्तीय बोझ में कमी आएगी और वे उचित देखभाल और सहायता प्राप्त कर सकेंगे। डॉ. गिल ने यह भी कहा कि पंजाब, हिमाचल और हरियाणा में मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बुजुर्गों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में अपर्याप्त है।

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