International Kullu Dussehra: रघुनाथ जी की रथ यात्रा के साथ कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन

Edited By Kuldeep, Updated: 19 Oct, 2024 08:35 PM

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अधिष्ठाता रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा के साथ शनिवार को कुल्लू के अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन हो गया। कड़े सुरक्षा पहरे में रथ यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया।

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): अधिष्ठाता रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा के साथ शनिवार को कुल्लू के अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन हो गया। कड़े सुरक्षा पहरे में रथ यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया। कई देवी-देवता रथ यात्रा में रघुनाथ जी के साथ चले और अन्य देवी-देवताओं ने अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान रहकर रथ यात्रा काे देखा। रघुनाथ जी से विदा लेकर सभी देवी-देवता अपने देवालय लौट गए। रघुनाथ जी भी रथ मैदान में देवी-देवताओं को विदा करके अपने देवालय रघुनाथपुर को पालकी में सवार होकर चले गए।

शनिवार को रघुनाथ जी की रथ यात्रा उनके अस्थायी शिविर के पास से शुरू हुई। देवी जगन्नाथी भुवनेश्वरी का इशारा मिलते ही रघुनाथ जी के जयकारों के साथ हजारों लोगों ने रथ को खींचा और रथ आगे बढ़ा। लोग रथ को कैटल मैदान तक लेकर आए। रथ के आगे-पीछे व दाएं-बाएं हजारों की संख्या जय श्रीराम के उद्घोष लगाते हुए देवी-देवताओं के साथ लोग चले। देवी हिडिम्बा, रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, कारदार दानवेंद्र सिंह, राज परिवार के अन्य सदस्य, देव कारकून लंका बेकर की ओर गए, वहीं लंका दहन की रस्म को निभाया गया।

इसके उपरांत जब देव कारकून वापस रघुनाथ जी के रथ के पास लौटे तो कई देव कारकून वहां से वापस रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर की ओर निकले। वहां से देवी सीता जी को पालकी में कड़े सुरक्षा घेरे में रघुनाथ जी के रथ तक लाया गया। उसके बाद देवी सीता रघुनाथ जी के साथ रथ में विराजमान हुई। लोगों ने रथ को वापस रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर होते हुए रथ मैदान तक पहुंचाया। रघुनाथ जी ने सभी देवी-देवताओं को विदा किया और स्वयं पालकी में सवार होकर रघुनाथपुर लौट गए।

रघुनाथ जी के रथ में फंसी तारें, रोकनी पड़ी रथ यात्रा
कैटल मैदान से वापस लौटते समय रघुनाथ जी के रथ के छत्र में ऊपर से गुजर रही दो तारें फंस गईं। जैसे ही तारें फंसी तो साथ चल रहे हजारों लोगों ने शोर मचाया और रथ खींच रहे लोगों ने रथ को रोक दिया। इसके बाद कुछ कारकूनों ने एक लंबी छड़ी से तारों को हटाने का प्रयास किया जिससे एक तार को हटाया जा सका। दूसरी तार को खंभे के ऊपर चढ़कर काटा गया और इसके बाद रथ आगे बढ़ा।

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