जानिए क्यों बेसुध पड़े हैं कभी धौलाधार को छूने वाले ट्रैक रूट

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 05 Nov, 2020 12:21 PM

know why the track routes touching dhauladhar are insensitive

धौलाधार को छूने वाले ट्रक रूट बेसुध पड़े हैं। इनकी सुध न लिए जाने के कारण पर्यटक इन ट्रैक को लगभग भूल चुके हैं। कभी स्थानीय लोगों के लिए आम रहे यह ट्रैक रूट न केवल एडवैंचर से जुड़े हैं अपितु धौलाधार तक पहुंचने का भी माध्यम रहे हैं। इन ट्रैक रूट की...

पालमपुर (भृगु): धौलाधार को छूने वाले ट्रक रूट बेसुध पड़े हैं। इनकी सुध न लिए जाने के कारण पर्यटक इन ट्रैक को लगभग भूल चुके हैं। कभी स्थानीय लोगों के लिए आम रहे यह ट्रैक रूट न केवल एडवैंचर से जुड़े हैं अपितु धौलाधार तक पहुंचने का भी माध्यम रहे हैं। इन ट्रैक रूट की सुध नहीं ली जा सकी है योजनाएं बनी थी परंतु धन के अभाव में योजनाएं सिरे नहीं चढ़ सकी। कभी पालमपुर के साथ लगते लांघा माता, आदि हिमानी चामुंडा वाया जिया तथा बिरनी ट्रैक को संवारने के लिए प्रपोजल तैयार की गई। इसका खाका भी बुना गया परंतु अंत में बिना पैसे के योजनाएं मात्र कागजों में ही सिमट कर रह गई। पूर्व में जो प्रस्तावना तैयार की गई थी उसमें इन टैक रूट में ट्रैक्टर फ्रैंडली सुविधाएं उपलब्ध करवाने का ताना-बाना बुना गया था जिसमें संकेत चिन्हों के अतिरिक्त बैंच, पानी की सुविधा आदि जुटाने के प्रस्तावना थी। वही स्थानीय युवाओं को ट्रैकिंग गाइड के रूप में प्रशिक्षण देने के लिए प्रस्तावना थी।

लांघा माता ट्रैक
यह ट्रैक स्थानीय देवी मंदिर लांघा माता तक जाता है। कंडबाडी के समीप ननाहर को जाने वाला यह ट्रैक रूट घने जंगल से होकर गुजरता है। यह ट्रैक कभी चौड़ा हुआ करता था तथा इसे स्पष्ट ढंग से चिन्हित किया गया था। इस ट्रैक रूट वन्य संपदा से परिपूर्ण है। यह ट्रैक लगभग 2400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा इस ट्रैक के ऊपरी सिरे से धौलाधार पर्वत श्रृंखला का बालू तथा आरू पास स्पष्ट दिखता है। इस पास में पहुंचने के लिए डेढ़ घंटे का समय लगता है तथा 1 घंटे में वापिस लौटा जा सकता है। सुगम होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटकों को इस ओर आकर्षित किया जा सकता है इस ट्रैक पर पूरे वर्ष भर ट्रैकर आ जा सकते हैं।

बीरनी  माता ट्रैक
यह ट्रैक रूट स्थानीय देवी बीरनी माता तक जाता है तथा पालमपुर के समीप लांघा गांव से आरंभ होता है। इस हेतु लोहना या अप्पर बंदला से होकर पहुंचा जा सकता है। मंदिर स्थल से समूचे कांगड़ा घाटी का दृश्य देखा जा सकता है। वहीं धौलाधार का मनोरम दृश्य भी लोगों को आकर्षित करता है। इसी स्थल से समूचे पालमपुर नगर के साथ-साथ बैजनाथ, सुजानपुर, कांगड़ा नगरों को भी देखा जा सकता है वहीं व्यास नदी का अवलोकन भी यहां से किया जा सकता है। यह ट्रैक भी अधिक कठिन नहीं है तथा इसे 3 घंटे की चढ़ाई से पहुंचा जा सकता है तथा उतराई में 2 घंटे का समय लगता है लगभग एकतरफा साढ़े 3 किलोमीट लंबे ट्रैक लगभग 2300 मीटर ऊंचाई पर स्थित है तथा वर्षभर इसमें आया जाया जा सकता है।

आदि हिमानी चामुंडा ट्रैक
आदि हिमानी चामुंडा देवी चामुंडा के शिखर पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक जाता है 2810 मीटर ऊंचाई पर धौलाधार से घिरे स्थल के लिए दो मार्ग चिन्हित हैं। एक मार्ग जदरांगल से होकर जाता है यह मार्ग अधिक सुगम है तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसी मार्ग से आते जाते हैं। दूसरा मार्ग जिया गांव से आरंभ होता है। यह स्थान चामुंडा मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर दूरी पर है, इस ट्रैक का 2 किलोमीटर विस्तार कंडा की और हो जाता है तथा यह स्थान एक चारागाह के रूप में है जिसे कैंपिंग साइट के रूप में विकसित किया जा सकता है। इस ट्रैक में राजा चंद्रभान के किले के अवशेष देखे जा सकते हैं। इस ट्रक रूट की चढ़ाई 5 घंटे में पूरी की जा सकती है तथा यह लगभग साढ़े 7 किलोमीटर लंबा ट्रक है इसमें सबसे अधिक ऊंचाई 2864 मीटर की आती है तथा इसमें मार्च से अक्तूबर तक ही जाया जा सकता है।

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