जानिए विलुप्ता के मुहाने पर हिमाचली श्वान को कैसे मिलेगी नई पहचान

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 22 Sep, 2020 10:57 AM

know how himachali dog will get a new identity

विलुप्ता के मुहाने पर जा पहुचें हिमाचली श्वान (गद्दी समुदाय द्वारा पाले जाने वाले श्वान ) के संरक्षण व सम्वर्धन के लिए वैज्ञानिक पहल की जाएगी। पहली बार इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। हिमाचल की इस प्रजाति के विशुद्ध जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने के...

पालमपुर (भृगु): विलुप्ता के मुहाने पर जा पहुचें हिमाचली श्वान (गद्दी समुदाय द्वारा पाले जाने वाले श्वान ) के संरक्षण व सम्वर्धन के लिए वैज्ञानिक पहल की जाएगी। पहली बार इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। हिमाचल की इस प्रजाति के विशुद्ध जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने के लिए वैज्ञानिक आधार पर काम आरंभ किया जा रहा है। इस हेतु कृषि विश्वविद्यालय ने पहल की है। कृषि विश्वविद्यालय में इस हेतु आधारभूत संरचना को विकसित किया जा रहा है तथा इसके साथ ही वैज्ञानिक आधार पर इसकी ब्रीडिंग का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के लाइवस्टॉक फार्म कॉपलेक्स के अतंर्गत टीम इस प्रजाति के श्वान के फेनोटाइपिक तथा मॉलीक्यूलर विशेषताओं पर अध्ययन करेगी ताकि इस शोध के आधार पर इस प्रजाति की फेनोटाइपिक तथा मॉलीक्यूलर विशेषताओं को सहेजा जा सके। गद्दी समुदाय के घुमंतू भेड़ पालकों द्वारा इस प्रजाति को पाले जाने के कारण इसे इसी समुदाय के नाम से इसे पहचान मिली है। वही तेंदुआ जैसे वन्य प्राणी से लडऩे की क्षमता रखने के कारण ही इसे इंडियन पैंथर हाउंड के नाम से भी जाना जाता है।

मन की बात में पी.एम. ने की चर्चा
30 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में हिमाचली श्वान की इस प्रजाति के बारे में चर्चा की थी तथा लोगों से स्वदेशी प्रजाति के श्वानों को प्रमुखता से पालने का आग्रह भी किया था। घुमंतू जीवन शैली के घटते ट्रेंड के चलते हिमाचली श्वान की संख्या भी कम हो रही है। स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि पश्चिमी हिमालय के कुछेक क्षेत्रों में इसकी विशुद्ध नस्ल अब लगभग विलुप्त हो चुकी है।

ये है हिमालयी क्षेत्र की प्रमुख प्रजातियां
हिमालय पर्वत श्रृंखला में अनेक असामान्य तथा दुर्लभ श्वान की प्रजातियां पाई जाती हैं। ये आकार में बड़े, आक्रामक तथा बुद्धिमान माने जाते हैं। इनके जबड़े चौड़ें तथा थूथन मजबूत होती है वहीं के बाल भी लंबे होते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण ये प्रजातियां हिमालय वातावरण के अनुकूल मानी जाती हैं। हिमाचली श्वान की ऊंचाई 20 से 27 सैंटीमीटर होती है वहीं इसका वजन 35 से 45 किलोग्राम होता है। जबकि इसका लाइफ स्पैन 10 से 13 वर्ष का आंका गाया है। हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले श्वानों में नेपाली शीप डॉग, नेपाली हिल डॉग दोनों नेपाल में पाए जाते हैं वही हिमालयन गार्ड डॉग, इंडियन लेपर्ड हाउंड हिमाचली श्वान तथा बकरवाल मास्टिफ  यानी कि कश्मीर शीप डॉग, भारत के हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है इसमें इंडियन लेपर्ड हाउंड जाने की हिमाचली श्वान हिमाचल से संबंधित है वहीं भूटान का भुटिया शीप डॉग तथा दामची तथा तिबितयन मास्टिफ प्रमुख हैं।

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