Solan: कसौली में खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल शुरू, साहित्य सहित संगीत और इतिहास पर हुई विशेष चर्चा

Edited By Vijay, Updated: 18 Oct, 2024 06:46 PM

khushwant singh literature festival

कसौली में 3 दिवसीय खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल का आगाज हो गया है। यह लिटरेचर फैस्टीवल 18 से 20 अक्तूबर तक चलेगा। कार्यकम की शुरूआत मधुर संगीत कार्यक्रम से हुई, जिसे भास्कर द्वारा प्रस्तुत किया गया।

कसौली (जितेंद्र): कसौली में 3 दिवसीय खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल का आगाज हो गया है। यह लिटरेचर फैस्टीवल 18 से 20 अक्तूबर तक चलेगा। कार्यकम की शुरूआत मधुर संगीत कार्यक्रम से हुई, जिसे भास्कर द्वारा प्रस्तुत किया गया। दीदार-ए-नूर, ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए इत्यादि कबीर, गुरबाणी, महात्मा गांधी के संदेशों के मधुर संगीत के द्वारा खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल का आगाज हुआ। उसके उपरान्त बच्ची कौर सिंह ने कसौली के इतिहास के बारे में और खुशवंत सिंह के बारे में आए हुए मेहमानों, लोगों से बातें सांझा की और इस बात पर भी जोर दिया कि वातावरण किस प्रकार बदलता जा रहा है। भूमि कटाव के कारण पिछली बरसातों में कसौली में कितना नुक्सान हुआ है। हमें पर्यावरण के प्रति भी सजग होने की आवश्यकता है। खुशवंत सिंह के बेटे व आयोजक राहुल सिंह ने आए हुए सभी लेखकों, संगीतकारों व वक्ताओं का स्वागत किया और अपने पिता के बारे में बहुत-सी बातें लोगों के समक्ष सांझा की।
PunjabKesari

उसके उपरांत लेखक विलियम डेलरिंपल द्वारा साहित्यिक इतिहास के बारे में दृष्टिकोण सांझा किया गया और महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं किस प्रकार इतने व्यापक रूप में फैलती चली गईं, इसके सारे परिदृश्य को समझाने का प्रयत्न किया है।अगले सैशन में एल सुब्रमण्यम ने शास्त्रीय संगीत के ऊपर चर्चा की। जब उनसे उनके परिवार के बारे में पूछा गया। की परिवार में रहते हुए आप यह सारी चीज संगीत कार्यक्रम इत्यादि किस प्रकार मैनेज करते हैं तो उन्होंने बताया कि ये सारी चीजें संगीत के कारण ही संभव हैं। मेरे परिवार में सभी संगीत को पसंद करते हैं, जिसके कारण सारी चीजें आसान हो जाती हैं और काम करने की और प्रेरणा मिलती है।
PunjabKesari

उसके उपरांत मेजर जनरल इयान कार्डोजो ने आर्मी के अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने ने बताया कि उनकी किताब 'द बैटल ऑफ डोगरा' आर्मी के शौर्य की कहानी है, यह कहानी है उन जाटों की, यह कहानी है उस समय की, 1965 की लड़ाई की जब पाकिस्तान कश्मीर के हिस्से अखनूर को पाने की पूरी जदो जहज में था और हम उस समय 2 लड़ाइयां लड़ रहे थे।  हम उस स्थिति में नहीं थे कि हम वहां भी लड़ाई लड़ सकें और स्थिति यह थी कि पाकिस्तान की बटालियन अखनूर से केवल 12 मील ही दूर थी। हम एक हिसाब से घिरे हुए थे परंतु भाग्य यह रहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने उस समय पंजाब में दूसरा फ्रंट खोल दिया और टारगेट यह रखा गया कि लाहौर को हासिल करना है परंतु यह मुमकिन नहीं था, लेकिन जो वहां पर सीओ थे। उन्होंने कहा कि मैं इसे करके रहूंगा। वे वही तीन जाट थे। उनमें इतना जज्बा था कि वह किसी भी हद तक जाकर अपने देश को बचाने के लिए तैयार थे। इन्हीं तीन जाटों के ऊपर आधारित यह पूरी किताब लिखी गई है।
PunjabKesari

इसके अलावा अगले सैशन में म्यूजियम और इंडियन आर्ट के बारे में चर्चा हुई। यह चर्चा तस्नीम जकारिया मेहता, जनिता सिंह, वीरांगना सोलांकी के बीच रही, जिसमें म्यूजियम और इंडियन आर्ट के इतिहास के बारे में और म्यूजियम की शुरूआत भारत में कब और कैसे हुई। ब्रिटिश काल में म्यूजियम कैसे अस्तित्व में आए इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई। 
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!