Edited By Vijay, Updated: 28 May, 2025 02:51 PM

औद्योगिक गतिविधियों से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और विभाग चाहे जितने भी सख्त कानून बना लें, लेकिन जब तक उद्योगों में जिम्मेदारी और जागरूकता नहीं होगी, तब तक नदियां-नाले और वातावरण इस लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे।
परवाणू (विकास): औद्योगिक गतिविधियों से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और विभाग चाहे जितने भी सख्त कानून बना लें, लेकिन जब तक उद्योगों में जिम्मेदारी और जागरूकता नहीं होगी, तब तक नदियां-नाले और वातावरण इस लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे। ऐसा ही मामला सामने आया है परवाणू के सैक्टर-5 क्षेत्र से, जहां एक निजी उद्योग की यूनिट नम्बर-3 द्वारा पर्यावरण मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही थीं।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग को शिकायत प्राप्त हुई थी कि उक्त उद्योग सुखना नाले में रासायनिक अपशिष्ट छोड़ रहा है। विभाग ने तुरंत गंभीरता दिखाते हुए उद्योग और नाले का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जो सामने आया, वह चौंकाने वाला था। उद्योग द्वारा पीले रंग का रासायनिक अपशिष्ट सीधे नाले में छोड़ा जा रहा था, जिससे न सिर्फ जल स्रोत प्रदूषित हो रहा था, बल्कि क्षेत्रीय जैवविविधता पर भी खतरा मंडराने लगा था।
निरीक्षण के बाद प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने उद्योग प्रबंधन को तत्काल प्रभाव से नाले में अपशिष्ट छोड़ने पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया। उद्योग को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वह इस अवैध और खतरनाक गतिविधि को तुरंत बंद करें, लेकिन विभागीय निर्देशों की अवहेलना करते हुए अगले ही दिन फिर से उद्योग द्वारा अपशिष्ट नाले में बहा दिया।
उद्योग प्रबंधन के गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले चरण में उद्योग की बिजली आपूर्ति को काटने के निर्देश जारी किए और अब मानदंडों का उल्लंघन करने पर उद्योग पर 1.50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
इस मामले की पुष्टि करते हुए परवाणू प्रदूषण नियंत्रण विभाग के सहायक अभियंता अनिल ने बताया कि विभाग पर्यावरण सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी कीमत पर कानून की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में अगर उद्योग द्वारा दोबारा ऐसी गलती की जाती है, तो और सख्त कदम उठाए जाएंगे, जिसमें स्थायी लाइसैंस रद्द करना भी शामिल हो सकता है।
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