इंडियन टैक्नोमैक घोटाला: इस तरह नीलामी की कगार पर पहुंची इंडियन टैक्नोमैक कंपनी

Edited By Ekta, Updated: 05 Aug, 2019 01:09 PM

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इंडियन टैक्नोमैक घोटाले में आबकारी एवं कराधान विभाग की पिछले 5 साल की मेहनत ने कंपनी को आखिरकार नीलामी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। इंडियन टैक्नोमैक कंपनी में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। इसमें बैंकों, आयकर विभाग अन्य संस्थानों समेत...

नाहन (साथी): इंडियन टैक्नोमैक घोटाले में आबकारी एवं कराधान विभाग की पिछले 5 साल की मेहनत ने कंपनी को आखिरकार नीलामी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। इंडियन टैक्नोमैक कंपनी में करीब 6 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। इसमें बैंकों, आयकर विभाग अन्य संस्थानों समेत कराधान विभाग के भी टैक्स चोरी के 2100 करोड़ रुपए डूबे थे। अन्य लेनदारों ने वसूली के लिए अभी तक क्या कदम उठाए, यह अलग मामला है। घोटाले की जांच सी.आई.डी. व बाद में ई.डी. के हवाले भी हुई। कंपनी की कई बेनामी सपत्तियों का अभी भी खुलासा होना बाकी है। 2100 करोड़ रुपए के टैक्स चोरी के मामले का पर्दाफाश विभाग के एक ईमानदार अधिकारी जी.डी. ठाकुर ने 2014 में किया था। इसके बाद सरकार और विभाग के पांव तले जमीन खिसकती नजर आई थी। कुछ साल जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रही लेकिन हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सरकार, कराधान विभाग व अन्य सुरक्षा एजैंसियां हरकत में आईं। कंपनी के कई पदाधिकारी हिरासत में लिए गए। विभागीय अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया। 

18 फरवरी, 2014

18 फरवरी, 2014 में कराधान विभाग ने टैक्स चोरी का मामला पकड़ा था। अगले कुछ दिन बाद कंपनी परिसर में छापा मारा। जांच के बाद टैक्स चोरी के अहम सबूत हाथ लगे। 2014 में कंपनी की वसूली का मामला लिक्विडेटर के हवाले कर दिया गया। विभाग ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई और अपनी दावेदारी पेश की। बाद में हाईकोर्ट के आदेशों पर मामला विभाग को सौंपा गया। विभाग ने कंपनी परिसर की 185 बीघा भूमि के अलावा प्रदेश के अन्य स्थानों में 80 बीघा भूमि का पता लगाया जिन्हें मामले के साथ अटैच कर दिया गया।

16 याचिकाएं दायर हुईं

20 जून, 2014 को इंडियन टैक्नोमैक कंपनी पर 2100 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला फाइनल हुआ। विभाग के कंपनी पर टैक्स चोरी के मामले के खिलाफ हाईकोर्ट में 16 याचिकाएं दायर हुईं। हाईकोर्ट ने याचिकाओं को खारिज किया। बाद में ये याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दाखिल हुईं। यहां भी याचिकाकत्र्ताओं के हाथ कुछ नहीं लगा। बाद में विभागीय कोर्ट में 16 अपीलें दायर हुईं जिन्हें खारिज कर दिया गया। स्टेट टैक्स ट्रिब्यूनल में भी अपील हुई लेकिन यहां भी याचिकाकत्र्ताओं को निराशा हाथ लगी। अब कंपनी के पास दूसरा कानूनी दांव नहीं बचा था। 

कीमती मशीनें व स्क्रैप बिकने लगा

आबकारी एवं कराधान विभाग ने कंपनी परिसर को सील किया। कुछ अर्सा बाद परिसर से कीमती मशीनें व स्क्रैप बिकने व चोरी होने लगा। कंपनी के मजदूरों ने 2016 में चोरी की शिकायत का मामला सी.आई.डी. में दर्ज करवाया। इसके बाद सी.आई.डी. ने बिजली बिलों के मामले में करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए के आर.टी.जी.एस. घोटाले में कंपनी के कई पदाधिकारियों को हिरासत में लिया।

41 फर्जी कंपनियों की मिली थी जानकारी

2015-16 तक कंपनी से रिकवरी का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। तत्कालीन सरकार ने आखिरकार 2014 में टैक्स घोटाले का पर्दाफाश करने वाले अधिकारी जी.डी. ठाकुर को पुन: सिरमौर में तैनात किया। जांच ने फिर गति पकड़ी। 2019 में कंपनी के जाली एम.फार्म का घोटाला पकड़ा गया। कर निर्धारण के बाद 75 करोड़ रुपए के टैक्स की हेराफेरी पाई गई। जांच के दौरान कंपनी की 41 अन्य फर्जी कंपनियों का पता लगा। इन कंपनियों ने मनी लांड्रिंग के जरिए हजारों करोड़ रुपए इधर-उधर किए। बाद में इंडियन टैक्नोमैक महाघोटाले में कराधान विभाग की अपील पर हाईकोर्ट ने बेनामी संपत्तियों व कंपनी के अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए सी.आई.डी. व ई.डी. को पार्टी बनाकर जांच का जिम्मा सौंपा। 

इन्वैस्टर मीट के जरिए भी कंपनी परिसर बेचने की कवायद

इंडियन टैक्नोमैक कंपनी परिसर की नीलामी सरकार इन्वैस्टर मीट के जरिए भी कर सकती है। आबकारी एवं कराधान विभाग के सुझाव पर विभाग के प्रिंसीपल सैक्रेटरी ने इस बारे अपनी सहमति जताई है। विभाग को कहा गया है कि कंपनी की सारी डिटेल इन्वैस्टर मीट के लिए बने पोर्टल पर डाली जाए ताकि देश-विदेश से आने वाले बड़े औद्योगिक घराने चाहें तो कंपनी परिसर को खरीद सकें। नैशनल हाईवे पर स्थित कंपनी परिसर पूरी तरह से सभी सुविधाओं से संपन्न है।

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