ब्यास बेकाबू: महाकालेश्वर मंदिर तक पहुंचा पानी, केवल तीन फीट नीचे

Edited By Jyoti M, Updated: 01 Jul, 2025 12:12 PM

beas out of control water reached mahakaleshwar temple

प्रदेश में हो रही भारी बरसात ने भयंकर तबाही मचा रखी है। खड्डे, नदी, नाले उफ़ान पर हैं। इसके चलते उपमंडल देहरा में ब्यास नदी रौद्र रूप में है। बीते 24 घंटों से लगतार हो रही बरसात ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। हिमाचल प्रदेश में मानसून सक्रिय होते ही...

देहरा (सेठी) : प्रदेश में हो रही भारी बरसात ने भयंकर तबाही मचा रखी है। खड्डे, नदी, नाले उफ़ान पर हैं। इसके चलते उपमंडल देहरा में ब्यास नदी रौद्र रूप में है। बीते 24 घंटों से लगतार हो रही बरसात ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। हिमाचल प्रदेश में मानसून सक्रिय होते ही बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। मंडी जिले में पंडोह डैम से 1 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद ब्यास नदी में उफान आ गया है। लोग 2023 की बारिश की तबाही को याद कर सहम गए हैं। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए भी भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।

वहीं देहरा के आस पास के इलाकों में कई जगह छोटे खड्डे व नालों में उफान के चलते रास्ते भी बाधित रहे हैं। दूसरी तरफ उपमण्डल देहरा के अंतर्गत आते प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर से ब्यास का पानी तीन फुट नीचे है। लेकिन लगातार बढ़ रहे जलस्तर से मंदिर के अस्तित्व पर खतरा है। आपको बता दें कि मान्यता अनुसार कालेश्वर महादेव देवभूमि हिमाचल प्रदेश के एक ऐसा धाम है। जहां से महाप्रलय का आगाज होगा। इस धाम में स्वयं ब्यास नदी दशक में एक बार भोलेनाथ के चरणों में नतमस्तक होती है। कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल में स्थित मंदिर में मां काली ने 14 हज़ार वर्ष पैर के अंगूठे पर खड़े होकर भगवान शिव की अराधना की। उसके बाद ही इस धाम का नाम महाकालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। अब रोजाना यहां श्रद्धालु भगवान शिव के गर्भ में स्थित शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं। इस आकर्षक मंदिर का सम्बन्ध हिन्दू धर्म के दोनों महाकाव्यों रामायण और महाभारत से जोड़ा जाता है। 

लोकमान्यतायों के अनुसार जैसे-जैसे पृथ्वी पर पाप बड़ता जायेगा। महाकालेश्वर का शिव लिंग पाताल लोक में स्थापित हो जायेगा। इस वक्त शिव लिंग भूगर्भ में स्थापित है ओर धीरे-धीरे पाताल में धंस रहा है। इधर, बारिश के कारण डाडासीबा से मचकुंड मंदिर होते हुए नंगल घियोरी जाने वाली सड़क पर भी पानी और मलबा आने से मार्ग बाधित रहा। स्थानीय लोगों और पीडब्ल्यूडी विभाग ने मिलकर रास्ता बहाल करने के प्रयास किए। जबकि जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का कार्य जारी है। लेकिन लगातार बारिश से फिर से पानी आने का खतरा बना हुआ है। देहरा उपमंडल में हालात को देखते हुए डीसी कांगड़ा के आदेश पर सभी स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है।

इस बारे एसडीएम देहरा कुलवंत सिंह पोटन ने कहा कि ब्यास नदी और नालों के जलस्तर की लगातार नजर रखी जा रही है। आपात स्थिति से निपटने के लिए राजस्व विभाग और आपदा प्रबंधन की टीमें भी अलर्ट पर हैं। पोटन ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक रूप से नदी और खड्डों के किनारे न जाएं और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें। ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके। कालेश्वर के स्थानीय निवासी रमन शर्मा का कहना है कि करीब 3 बर्ष पूर्व पहले ब्यास नदी में ऐसा उफान देखा गया था। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से महालेश्वर मंदिर की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है। ताकि ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके।

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि मौसम साफ होने तक सुरक्षित स्थानों पर रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रशासन को सूचित करें। ताकि समय पर मदद पहुंचाई जा सके। बिना कारण घर से ना निकलें। ढलियारा पंचायत के आपदा प्रबंधन समिति के सदस्य अविनाश ने पंचायत व आस पास के लोगों से आग्रह किया है । कि छोटे नालों इत्यादि से दूर रहें। और बच्चों को भी न जाने दें। अपने घरों के आसपास भी ध्यान रखें। बिना कारण यात्रा को स्थगित करें। ताकि किसी भी परेशानी से बचा जा सके।

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